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________________ अमृतं मथितं यथा ] श्लोकपादसूची [अमृष्यमाणा राजाना अमृतं मथितं यथा 1. 18. 1. अमृतं मनसः प्रीतिं 13. 101. 17. अमृतं मनो हादयति 13. 453*. 1 pr. अमृतं मे च दीयताम् 13. App. 1A. 410 post. अमृतं यज्ञशेष स्यात् 12. 235. 11'. अमृतं यत्र तिष्ठति 1. 16.37d. अमृतं यद्याहरेस्त्वं 13. App. 1A,204 pr. अमृतं विनतात्मज 13. App. 1A. 423 post. अमृतं विरजः शुद्धं 12. 189.21. अमृतं विश्वतोमुखम् 12. 95*. 2 post. ; App. 6.51 post. अमृतं वै गवां क्षीरं 13. 65. 44. अमृतं सकलं मुझे 12.214.12. अमृतं स प्रयच्छति 13.65, 414. अमृतं स्पृश्य संस्पति 5.97. 10. अमृतं ह्यक्षयं दिव्यं 13.51. 30". अमृतः शाश्वतः स्थाणुः 13. 135.26%. अमृतः स नित्यं वसति 12.237. 19%. अमृताक्षरमेव तु 13. App. 11.35 post. अमृताच्चामृतं प्रातः 12. 192. 1220. अमृतादुत्थितं दिव्यं 3. 292. 274. अमृतात्थितं रौद्रं 3.89. 11". अमृताहुत्थितं ह्येतत् 3. 284. 200. अमृतान्न परं किंचित् 12.238. 4. अमृतान्युपजीवन्ति 13. 27.5. अमृतायतनं चैताः 13.51. 30%. अमृतार्थ द्विजोत्तम 12. 835*. 9 post. अमृतार्थ स संमन्य 13. App. 1. 25A5 pr. अमृतार्थ सुरासुरैः 13. App. 15. 309 post. अमृतार्थिनस्ततो ब्रह्मन् 1. 16. 12". अमृतार्थे च लक्षयर्थे 1. 277*.2 pr. अमृतार्थ पुरा पार्थ 3. 168. 17. अमृताथै महानादो 1. 16. 386. अमृतार्थे समागम्य 1. 15. 10. अमृताहरणे वाचं 13. App 1A,207 pr. अमुतां मां मृतां मत्वा 1.740*. 1 pr. अमृतांशूद्भवो बीजं 13. 632*.3pr. अमृतांशुदवो भानुः 13. 135. 41". अमृतांशोऽमृतवपुः 13. 135. 100deg. अमृतेन विनाप्यहम् 1. 29. 11. अमृतेन समन्धितम् 13. 14. 1934. अभृतेनाभितृप्तस्य 5. 100. 3. अमृतेनावसिकवान् 13. 5. 284. अमृतेनावसिक्तश्च 13. App. 8.61 pr. अमृतेनावसि कस्त्वं 13.76. 23. अमृतेनेव संतृप्तः 12. 154. 37. अमृते मथिते तात 1. 49. 90. अमृते वसती लोके 1. 147. 18. अमृतोद्भवमुत्तमम् 9. 45. 450. अजूतोद्भवसद्भाव 6. 61.52deg. अमृतोपममुत्तमम् 13. 110. 804, 102d. अमृत्यवे तत्कतरन्नु सत्यम् 5. 42.24. अमृत्युर्मृत्युमात्मानं 12. 292. 46deg. अमृत्युः कर्मणा केचित् 5. 42. 3". अमृत्युः सर्वदृक्तिहः 13. 135. 350. अमृद्द्वात्तं पत्केन 7. 185*. 4 pr. अमृगात्समरे राजन् 6. 91.53deg. अमृष्यत्क्रोधताम्राक्षः 2. App. 28. 141A 1 pr. अमृष्यमाणयोः संख्ये 3. 154. 46. 7. 114.61. अमृन्यमागश्च भृशं 7. 907*. 3 pr. अमृयमाणश्च महाविमर्दे 8. 65. 14". अमृपमाणस्तत्वार्थः 2.52. 19. अमृन्यमाण-तगीमो 4. 1019*. 1 pr. अमृष्यमाणम्तरसा तरस्वी 9. 23. 624. अमृन्यनाणता शूरान् 10. 13. 180. अमृन्यमाणस्तु मह विमर्दै 8. 1016*.3. अमृप्यमाणस्य धनंजयस्य 8. 1043*.7. अयमाणः कर्णस्तु 7. 164.474. अमृन्यमाणः कोपेन 4. App. 53. 17 pr. अमृष्यमाणः पार्थेन 6.69.50. अमृयमाणः पुनरेव पार्थः 8. 65. 27deg. अमृध्यमाणः स ततो महात्मा 6.55. 81". अमृन्यमाणः सबल: 3.269.5". अमृन्यमाणः संकुद्धः 6.60. 15. अमृध्यमाणः संप्रायात् 5.94. 16. अमृष्यमाणा भित्त्वोवी 14.78. 80. अमृध्यमाणा राजानः 7. 10. 11". अमृताशी वसंमात्र 13. 110. 1086. अमृताशी सदा च स्यात् 12.214,70. 13. 93.74 अमृताश्च योऽप्येते 12. App. 20D. 44 pr. अमृताश्चौषधीः शश्वत् 12. 97. 19". अमृताश्यं परं धर्मः 13. App. 15. 487 pr. अमृतास्वादनीया मे 3. 188*. 3 pr. अमृतास्वादसदृशं 12. 137. 9". अमृतास्वादसंमिताम् 1. 90.5t. अमृताहरणं मेऽद्य 13. App. 1A. 436 pr. - 191 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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