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________________ अक्रूरभोजप्रभवाः] महाभारतस्थ [ अक्षमावान्परं दोषैः अकरभोजप्रभवाः 12. 82. 14. अक्रूरश्च महाबाहुः 3. 19. 20deg. अक्रूरश्चोग्रसेनश्च 1. App. 114, 175pr. अक्रूर रोक्मिणेयं च 16.7.8. अक्रूरः कृतवर्मा च 2. 4. 27". अकरः पेशलो दक्षः 13. 135, 1114. अक्रूरः सात्यकिश्चैव 1. 177. 174. अक्रूरः सारणश्चैव 1.211. 100. अक्रूराय च कृष्णाय 1. App. 114. 170 pr. अक्रराहकयोस्तदा 1. App. 114. 172 post. अकरो वृष्णिवीराणां 1. 213. 259. अक्रोध आर्जवं नित्यं 12.213. 10%. अक्रोधद्रोहमोहाय 12. 47. 53. अक्रोधनः ऋध्यतां वै विशिष्टः 12.288. 15. अक्रोधनः क्रोधनेभ्यो विशिष्टः 1. 89.6. अक्रोधनः सत्यवादी 13. 107. 14". अक्रोधना अचपलाः 13.90.24". अक्रोधना धर्मपराः 13. 23. 330. अक्रोधनाः सत्यपराः 14. App. 1. 2252 pr. अक्रोधने देवपरे कृतज्ञे 13.58*. 1. अक्रोधनोऽकरवं त्रिंशतोऽब्दान् 13. 106. 336. अक्रोधनो गोपु तथा द्विजेयु 13.72. 11". अक्रोधनोऽथाव्यसनी 12.57. 294. अक्रोधनो नरो धीमान् 3. 203.76. अक्रोधनोऽनसूयश्च 3.245.21. अक्रोधनो नचपल: 12. 182*. 4 pr. अक्रोधनो महाराज 9. 49. 36. अक्रोधश्चानसूया च 14.38.3%; 46. 350. अक्रोधः क्षान्तिरार्जवम् 13. App. 15. 2301 post. अक्रोधः सत्यवचनं 12. 60. 70. 13. 37.86. अक्रोधाजयति क्रोधं 3. App. 21. 42A 1 pr. अक्रोधे चातिवादे च 1.74.8. अक्रोधेन जयेत्क्रोधं 5. 39.584. अक्रोधेन निरस्यति 1.74.3. अक्रोधो दानमेव च 3. 198. 60%. अक्रोशन्बान्धवानन्ये 9. 8. 350. अक्लान्तः सलिलं गाहेत् 14. 49. 27. अक्लिष्टवेषधारी च 4. 20*. 1 pr. अक्लिष्टं फलमव्यग्रः 1. 111. 19. अक्लेद्यो शोष्य एव च 6.24.24". अक्लेशेनाजयच्चापि 13. 89. 15. अक्लेशेनाविनाशेन 12. 103.32%. अक्षकूटमधिष्टाय 3. 34. 30. अक्षकूटं समाश्रित्य 7.283*. 1 pr.; 284*. 1 pr. अक्षक्रीडनयानेन 4. 1100*.8 pr. अक्षग्लहः सोऽभिभवेत्परं नः 2.53.50. अक्षज्ञ इति तत्तेऽहं 3.78. 14. अक्षज्ञः शकुनिर्जेता 8.67.30. अक्षतः क्षपयित्वान्यान् 1. 1002*. 1 pr. अक्षतः क्षपयित्वारीन् 1.96. 430. अक्षतः शस्त्रसंपन्नः 2.22. 136. अक्षतः सह पाञ्चाल्या 3. 145. 2. अक्षतान्कुरुपाञ्चालान् 5. 31. 22f. अक्षताभ्यामरिष्टाभ्यां 8. 46. 4". अक्षता युगपत्केचित् 9.24.59. अक्षताविति भारत 2.22. 46. अक्षताश्च घृतोत्तराः 13. App. 14. 277 post. अक्षताः समदृश्यन्त 8.40.72. अक्षतेन शरीरेण 3. 40. 27. अक्षतर्मधुसूदनः 2. App. 21. 1350 post. अक्षतैस्तु समर्चितः 1. App. 36. 60 post. अक्षतैः फलपुष्पैश्च 1. App. 36.55 pr. अक्षतैः सुमनोभिश्च 7. 58. 16". अक्षतौ संयुगे तत्र 7.89. 20". अक्षत्रियो वा दाशार्ह 5. 80. 16. अक्षयूतं महाप्राज्ञ 5. 126. 60. अक्षयूतं मृगवधः 5.88.55. अक्षयूतकृतं राजन् 6.99. 44. अक्षयूताधिकारे च 3. 203*. 4 pr. अक्षयूताभिदेवने 6. 278*. 1 post. अक्षबूते च नृपतिः 9. 4. 7. अक्षयूतेन भगवन् 3. 49. 320. अक्षयूतेन भारत 3. 296. 4. अक्षयूते नलं जेता 3. 56.50. अक्षयूते बनेऽपि च 7. 107.9. अक्षयूते समाह्वानं 2. 67. 4". अक्षधूर्तस्य कारणात् 4. 19. 10. अक्षप्रपतने चैव 2. App. 21. 1551 pr. अक्षप्रियः सत्यवादी 3. 50. 39. अक्षमं तस्य दुःसहम् 13. 145. 364. अक्षमात्रैश्च धाराभिः 3. App. 27. 12 post. अक्षमायाः क्षमायाश्च 12. 156. 14. अक्षमालाङ्गुलीयकः 1. App. 113. 11 post. अक्षमालापरिक्षिप्त 7. 172.630. अक्षमावान्परं दोषैः 5. 176*. 1 pr.
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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