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________________ अकाले त्यामष्णुमः] महाभारतस्थ [ अकृता ते मतिस्तात अकाले त्वामष्णुमः 1. 158. 16. [अ]कालेऽन्नमशुचिर्यथा 1.79.21; 830*. 1 post. अकाले पुरुषव्याघ्र 8. 49. 14. अकाले मन्त्रभेदाच्च 5. 34. 41. अकालेऽविषमस्थस्य 12. 136. 152. अकाष्ठमग्निं सा दृष्ट्वा 9. 47.21. अकाष्ठा निस्तृणा भूमिः 12.225.. अकिंचनस्य शुद्धस्य 12. 170.94. अकिंचनः परिपतन् 12. 170.7M. अकिंचनः सुखं शेते 12. 170. T. अकिंचनाश्च दृश्यन्ते 12.28.284. अकिंचिदुक्त्वा गमनं 13.55. 3. अकिंचिदुक्त्वा तु गृहात् 13.52. 36. अकिंचिदुक्त्वा वीडितः 13. 41. 27. अकीर्तयत सुश्रोणी 4.297*. 1 pr. अकीर्तिकरमर्जुन 6.24.24. अकीर्तिमिह संप्राप्य 12. App. 9. + pr. अकीर्तिर्जीवितं हन्ति 3. 281.326. अकीर्ति चापि भूतानि 6. 24. 34. अकीर्ति जनयत्येव 13. 108.9". [अ] कीर्ति पापं च विन्दति 12.70. 284. अकीर्ति सर्वभूतेषु 5. 70.61. अकीर्तिं सर्वलोकेषु 3. 38. 41". अकीर्तिः कीर्त्यते यस्य 3. 191. 220. अकीर्तिः परिवादश्च 1. App. 56. 17 pr. अकीर्तिः शाश्वती चैव 12. 100.5. अकीर्तिः स्थास्यति ध्रुवम् 9. 206*.9 post. अकीर्तिः स्याद्वषीकेश 5. 1:39. 18. अकीर्त्यापि समायुक्तः 12. 93. 16. अकीर्त्या मुनिसत्तम 14. 3. 156. अकुण्ठं सर्वकार्येषु 12.79*.5 pr. अकुण्ठाग्राशिलाशितान् 6.75. 28deg. भकुण्ठाग्रैर्महाबलः 6.06. 3rd. अकुतश्चित्कुतश्चिद्वा 12.212.26. अकुतोभयान्सुसंपन्नान् 8. 314*. 3 pr. अकुत्सा वैश्यकर्मणि 13. App. 14A. 18 post. अकुर्वशान्तिमुद्विग्नाः 3. 215. 1. अकुर्वत पुनर्मत्रं 4.8*.2 pr. अकुर्वतश्चेत्पुरुषस्य संजय 5. 26. 20. अकुर्वतः कर्म युद्धे समन्तात् 5. 315*. 3. अकुर्वतः सिध्यति चापि सर्व 5. 164*. 1. अकुर्वता वचस्तेन 10. 1. 15. अकुर्वतां भोजकृपौ 10. 6. 1. अकुर्वतोऽस्मद्वचनं 3.262.8. अकुर्वन्गुरवश्च ह 12. 221. 744. अकुर्वन्त तपस्विनः 14.93. 9d. अकुर्वन्तापरे तथा 9. 22.254. अकुर्वन्तो नृपानुगाः 12. 86. 16. अकुर्वन्तो हि कर्माणि 5. 133. 10". अकुर्वन्नतिथिक्रियाम् 1. App. 107. 18 post. अकुर्वन्नार्यकर्माणि 7. 30.43 186*.9 pr. अकुर्वन्याण्डुनन्दनाः 6. 15. 17'. अकुर्वन्मयि नैषधाः 3.58. 18. अकुर्वन्वचनं तस्य 8.5.520. अकुर्वन्विहितं कर्म 12. 35.24. अकुर्वन्सत्यकस्तदा 14.61.64. अकुर्वन्सहिताः परे 9. 17.294. अकुर्वंस्ते सहस्रशः 13. 69.44. अकुर्वत्रिदशाः पुरा 3. 98.5*. अकुर्वाणं विकर्माणि 12. 60. 10. अकुर्वाणः परैः कांचित् 12.9. 15. अकुलानां कुले भावं 3. App. 21. 21. अकुलानां समृद्धानां 3. App. 21. 226. अकुलीननराकीर्णः 12. 118. 4. अकुलीनस्तु पुरुषः 12. 118.60. अकुलीना च या नारी 12. App. 12.2 pr. अकुलीनाश्च कर्तव्याः 12. 268*.2 pr. अकुलीनाम्तथा चान्ये 13. 132. 43. अकूजनेन चेन्मोक्षः 8. 49. 51. 12. 110. 11. अकूजन्तमचेतसम् 12. 173.7. अकूपारं सुरासुराः 1. 16. 10. अकृच्छ्रात्सुखमाप्नोति 5. 35.55 अकृतज्ञाश्च मित्राणां 13.24.66. 14. App. 4. 2094 pr. अकृतज्ञोऽस्तु मित्राणां 13.96.21". अकृतप्रज्ञको बाल: 12. 190. 100. अकृतव्यवसायस्य 12.276. 1". अकृतव्रणप्रभृतयः 5. 181. 16%. अकृतव्रण शक्यो वै 5. 175. 11'. अकृतव्रणः प्रादुरासीत् 5. 175.6. अकृतवणः शुभैर्वाक्यः 5. 185. 14. अकृतव्रणो जामदग्न्यं 5. 177.8. अकृतज्ञः श्वयोनिजः 12. 117.394. अकृतं द्रोणभीष्माभ्यां 8.26. 170. अकृतं मुनिभिः पूर्व 13. 91. 174 अकृतं श्रूयते क्वचित् 12. 83. 14. अकृता ते मतिम्तात 14.2. 15. -- 6
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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