SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुं पुत्रमथाहूय] महाभारतस्थ [अनृतेऽपि हि सत्ये वा अनुं पुत्रमथाय 1. 832*. 1 pr. अनूनमासीदसुरस्य कामैः 3. 27. 130. अनूना चानवद्या च 1. 114.50%. अनूनामरुणां प्रियाम् 1.59. 41. अनूपगाः किराताश्च 6. 46. 46. अनूपजाङ्गलयुतं 1. App. 47.24 pr. अनूपदेशं सूताय 12. 130*.2 pr. अनूपराजो दुर्धर्षः 2. 4. 25". अनूपवासी नीलश्च 8.27*.3 pr. अनूपाधिपतिश्चैव 6.89. 14. अनूपाधिपतिः शूरः 6. 90.27". अनूपां सुभगां भासीम् 1.50. 4. अनूयाजप्रयाजांश्च 14. App. 4. 2678pr. अनूष्ममव्यजकमस्वरं यत् 6. App. 3.92L. अनूष्माणमचेष्टानां 12. 177. अनृग्यजुरसामा तु 12. 60. 42". अनृचश्च तथापरे 5. 43. 24. अनृजुर्मधुसूदन 11.24.24. अनृजुस्त्वनुरक्तोऽपि 12.84. 330. अनृणस्तेन भवति 12. 137. 31. अनृणः सान्त्वयिन्यसि 8. 63.824. अनृणः स्यां द्विजोत्तम 1. 168. 11. अनृणा विचरन्त्युत 4. 23. 104. अनृणी चाप्रवासी च 3. App. 32.62 pr. अनृणो गन्तुमिच्छामि 12. App. 17B. 121 pr. अनृणो भरतर्षभ 15. 20. 17t. अनृणोऽहं भविष्यामि 9. 398*. 1 pr. अनृतस्य फलं कृत्स्नं 2.61. 57. अनृतस्येह विद्यते 12. 3. 32. अनृतं कटुकं वचः 13. App. 15.3727 post. अनृतं किंचिदुक्तं ते 3. 34.74. अनृतं च न भाषेत 13. 110. 46. अनृतं च भवेत्सत्यं 3. 200. 3. अनृतं च समुत्कर्षे 5. 40. 36. अनृतं चापवादश्च 14. App. 4. 3342 pr. भनृतं चाभ्यसूया च 5.43. 15. भनृतं चैव पारुष्य 13. App. 15.2349 pr. भनृतं जीवितस्यार्थे 7. 164. 99. अनृतं ज्ञाज्ञता सत्यं 12. 121.29. अनृतं तकरिष्यन्ति 8.52. 17deg3794. 1 pr. अनृतं तत्र वै सत्यं 13. App. 20. 309 pr. अनृतं तमसो रूपं 12. 183.24. अनृतं तु भवेद्वाच्यं 8. 49. 20. अनृतं त्वयोक्तं राजेन्द्र 1. 805*. 10 pr. अनृतं धनसंबद्धे 13. App. 20. 116 pr. अनृतं धर्मयुक्तं च 13. App. 15.2820 pr., 2832 pr. अनृतं न बुवन्ति ये 13. App. 15. 3710 post. अनृतं न बढ़ेदिष्वा 14. App. 4. 2195pr. अनृतं न स्मराम्यस्य 17.2. 20. अनृतं नानृतं स्त्री 1. 799*. 1 pr. अनृतं नोक्तपूर्वं च 1. 206.22. अनृतं नोकपूर्व नौ 3. 194. 234. अनृतं नोक्तपूर्व मे 1. 209. 10. 5. 120. 9.12. App. 28. 36pr.; App. 29E. 191 pr. 14.56. 10. अनृतं नोत्सहे कर्तुं 5. 139. 17. अनृत नोत्सहे वक्तुं 3.49.27. अनृतं भारतु सदा 13.96.31". अनृतं माब्रवीच्छुश्रूः 12. 14.30". अनृतं मा भवेद्देव 3. 984*. 1 pr. अनृतं यच्च परवं 13. App. 15.2799 pr. अनृतं ये न भाषन्ते 13. 132. 19. अनृतं वक्ति लोकोऽयं I. App. 50.5pr. अनृतं यकुमुत्सहे 5. 139. 12t. अनृतं वदते लोकः 13. App. 20.264 pr. अनृतं बदसीह त्वं 12. 192. 85. अनृतं वाप्यनिटं या 1. 682*. 1 pr. अनृतं सत्यमित्याहुः 13. 39.84. अनृतादिह विद्यते 1.668.2 post. अनृतानपि पर्वादि 13. 303*. 1 pr. अनृतान्मे भयं तीव्र 1. 188. 17. अमृतान्मोक्ष्यसे भद्रे 1. 188. 184. अनृतायां प्रतिज्ञायां 8. App. 14. 18 pr. अनृतावपि पार्थिनः 15. 12. 13. अनृताविह पर्वादि 13. 302*. 1 pr. अनृतावृतुकाले वा 14. App. 4. 2404 pr. अनृतां पर्युदस्यति 13. 41. 261. अनृताः स्त्रिय इत्येव 13. 19.7M. अनृताः स्विप इत्येवं 13. 19. 6". अनृते चेत्प्रसङ्गस्ते 1.69.26. अनुते न च भारत 14. App. 4. 2058 post. अनृतेन न लिप्यते 13. App. 15.2835 post. अनृतेनाभिभूतोऽभूत् 5. 10. 42. अनृते नास्ति पातकम् 7. 1310*.2 post. अनृतेनोपचर्ता च 12. 35.73; 36. 20% अनृतेनोपची! हि 4. 4. 16. अनृतेऽपि हि सत्ये वा 13. App.TA.219 pr. -10
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy