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________________ बाड़मेर जिले के प्राचीन जैन शिलालेख [ 55 है। मन्दिर से गांव एक कि. मी. दूर है / मन्दिर व गांव के बीच एक कुप्रा पाया हया है जिसके पास काफी छतरियां बनी हुई हैं उनमें से काफी तो राजपूतों की देवलियां हैं, परन्तु दो जैन सती देवलियां प्राप्त हुई हैं / (240) 1. जैन सती लेखः - संवत 1685 वर्षे जेठ सुदि 6 दिने गुरवारि समदरडिया गोत्र बालड़ प्रचला भार्या सोहागदे पुत्र दुजरणसाल सरग पुहता मुलतान नगए द्रजणसाल भार्या नवलादे सती श्रीवीरमपुर हुई / / सुत्रधार धरमसीकृत।। (241) 2. // 60 / / संवत 1667 वर्षेः फागुण वदि 6 वार शुक्र: चित्रा नषत्रेः सघवी चांगाः पुत्रः सुरताण: भार्याः सतवंती: सीलवती: मांनादेः स्वर्गगतौः सूत्र कचराः सूत्र धरमसीकृतं / / मोकलसर यह ग्राम समदड़ी भीलड़ी रेल मार्ग पर रेलवे स्टेशन है। यहां कई स्थानों से बसें आती जाती हैं / तहसील मुख्यालय सिवाना का भी रेल्वे स्टेशन यही गांव है / यहां श्रीपार्श्वनाथजी का मन्दिर है / (242) 1. श्रीमूलनायकजी श्रीपार्श्वनाथश्री प्रतिमा लेख: सवत 1545 वर्षे वैसाख सुदि 3 (243) 2. पंच धातु प्रतिमा लेखः.. सं. 1466 फा.सु. 2 ऊकेशज्ञातीय सा. कडुमा भा. कोलूण पुत्र सा. रतनाकेन भा. रतनादे पुत्र वीरमयुतेन स्वश्रेयसे श्रीकुथुनाबिंब का प्र. श्रीसूरिभिः / / . (244) 3. पंच धातु प्रतिमा लेख: सं. 1530 वर्षे फागुण सुदि 10 उ. कुससगोत्रे सा. भाड़ा भा. पदमिणी श्रीशांतिनाथबिम्ब का. प्र. श्रीसिघसेनसरिपट्ट श्रीश्रीधनेश्वर सूरिभि / / प्रतिष्ठितं / रमणीया यह ग्राम मोकलसर से पादरू बस मार्ग पर पाया हमा है। मन्दिर
SR No.032838
Book TitleBadmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
PublisherJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publication Year1987
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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