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________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख 14) 4. / / संवत् 1523 माघ सुद 6 शा.म. झाझेण भार्या लूणी पुत्र लोलाकेन भार्या पूनी पुत्र नाथ कुट म्बयुतेन निजश्रयार्थ श्रीश्र यांसबिंब का. प्र. तपा. श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः 5. संवत् 1524 वर्षे मार्ग क. 5 ऊः ज्ञातीय सा. धीरा भा. फतु पुत्र ताल्हा भा. सकतू पुत्र लषमरण टाल्हादिकुट बेन श्रीशान्तिनाथबिंब का. प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः सिरोहीनगरे ।।श्रीरस्तु / . 6. संवत् 1524 वर्षे ज्ये. सुद 6 ऊ. सा. जोरा भा. दारादे पुत्र हेमा भा. पदमणी लाहू पुत्र वरसींग भा. श्रंगारदेकुट बयुताभ्यां का. श्रीआदिनाथ बिंब प्र. तपागच्छाधिराज श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ग्राम कर्मावास यह ग्राम समदड़ी से दो किलोमीटर नदी के किनारे बसा हा है। समदड़ी से अजीत तक यहां होकर बस जाती है। मन्दिर के जीर्णोद्धार का कार्य चाल है। श्रीमूल नायकजो श्रीपार्श्वनाथजी हैं तथा दो प्रतिमाएं श्रीशान्तिनाथजी व श्रीचन्दाप्रभुजी की हैं। लेख सीमेंट के कारण अस्पष्ट है। (17) 1. पंच धातु प्रतिमा पंचतीर्थी:--- / संवत् 1535 व. मा. सु. 5 गु वीसा श्रे. जेठा सा. अमुक्त सतम भोजाकेन भा. वडयादे स्व सा. साजन सुत नाथादिय श्रीचन्द्रप्रभबि. का. प्र. तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः / __ (18) 2. पंच धातु प्रतिमा बड़ी-- __ सं. 1520 वर्षे जेठ सु. 10 प्राग्वाट सा.सह्लदेव सा. हर्ष सुत सुदाला नाति कुट बयुतेन स्वश्रेयोर्थ श्री विमलबिंबका. प्र. तपा. श्रीरत्नशेखरसूरिपाट श्रीसदभासागरसुरिश शृगपुरभिः ग्राम कल्याणपुरा यह ग्राम बालोतरा जोधपुर बस मार्ग पर आया हुआ है। यहां पर श्रीमलनायकजी शांतिनाथजी का शिखरबन्द मन्दिर है /
SR No.032838
Book TitleBadmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
PublisherJain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publication Year1987
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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