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________________ [ 16 ] xxxभरत द्वारा भावि तीर्थकर मरीचि को प्रणाम करना मूल जैनागमों में दृष्टिगोचर नहीं होता है, किन्तु कथाग्रन्थों में ऐसी बात लिखी है।xxx किन्तु ऐसी अप्रमाणिक बात लिखने वाले प्राचार्य हस्तीमलजी को यह बताना चाहिए कि श्री महावीर स्वामी के जीव ने किस जगह, किस समय कौन से कारण नीच गोत्र का बंध किया था, जिसके प्रभाव से श्री महावीर स्वामी के भव में उनको ब्राह्मणी की कुक्षि में पैदा होना पड़ा था। सुभूम चक्रवर्ती, ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती, चन्द्रगुप्त चाणक्य का कथानक, सगर चक्रवर्ती को वैराग्य, श्री महावीर स्वामी के सत्ताईस भव, नंदवंश की स्थापना प्रादि अनेक बातें पागम ग्रन्थों में नहीं होते हुए भी प्राचार्य ने कथा ग्रन्थों के सहारे ही लिखी हैं / फिर इस बात में संदेह क्यों? प्रार्या चंदनबाला के विषय में खंड 1, (पुरानी प्रावृत्ति) पृ० 345 पर प्राचार्य लिखते हैं कि xxx चन्दना ने जब कुछ समय बाद यौवन में पदार्पण किया तो उसका अनुपम सौंदर्य शतगुणित हो उठा। उसको कज्जल से भी अधिक काली केशराशि बढ़कर उसकी पिण्डलियों से अठखेलियां करने लगी।xxx मीमांसा-प्रार्या चंदनबाला के विषय में उक्त बात इतिहासकार ने. कौन से मूलागम के प्राधार पर लिखी है, यह प्रामाणिकता पूर्वक कहना चाहिए एवं नंदवंश की स्थापना के अवसर पर खंड 2, पृ० 268 पर प्राचार्य लिखते हैं कि
SR No.032834
Book TitleKalpit Itihas se Savdhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansundarvijay, Jaysundarvijay, Kapurchand Jain
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year1983
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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