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________________ महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर अनन्तानुबन्धी का सदवस्थारूप/अप्रशस्त उपशम अपने आप होता है। 24. प्रश्न : निधत्ति किसे कहते हैं ? उत्तर : संक्रमण और उदीरणा के अयोग्य प्रकृतियों को निधत्ति कहते हैं। 25. प्रश्न : निकाचित किसे कहते हैं ? उत्तर : संक्रमण, उदीरणा, उत्कर्षण और अपकर्षण के अयोग्य प्रकृतियों को निकाचित कहते हैं। ___ ये तीनों (उपशांत द्रव्यकर्म, निधत्ति एवं निकाचित कर्म) प्रकार के करण द्रव्य अपूर्वकरणगुणस्थान पर्यंत ही पाये जाते हैं; क्यों कि अनिवृत्तिकरण गुणस्थान में प्रवेश करने के प्रथम समय में ही सभी कर्मों के तीनों करण युगपत् व्युच्छिन्न अर्थात् नष्ट हो जाते हैं। (कर्मकाण्ड गाथा : 450 एवं जयधवला पुस्तक : 13, पृष्ठ : 231, 676) 26. प्रश्न : उदयावली किसे कहते हैं ? उत्तर : वर्तमान समय से लेकर एक आवली काल पर्यंत में उदय आनेयोग्य निषेकों को उदयावली कहते हैं। 27. प्रश्न : निषेक किसे कहते हैं ? उत्तर : एक समय में उदय आनेवाले कर्मपरमाणुओं के समूह को निषेक कहते हैं। 28. प्रश्न : क्षय किसे कहते हैं ? उत्तर : कर्मों का आत्मा से सर्वथा दूर होने को क्षय कहते हैं। * कर्मों का कर्मरूप से नाश होने को अर्थात् अकर्मरूप दशा होने को क्षय कहते हैं। 29. प्रश्न : श्रेणी चढ़ने का पात्र कौन होता है ? उत्तर : सातिशय अप्रमत्तविरत नामक सप्तम गुणस्थानवर्ती मुनिराज श्रेणी चढ़ने के पात्र होते हैं। . क्षायिक सम्यग्दृष्टि अप्रमत्त मुनिराज, उपशम अथवा क्षपकश्रेणी चढ़ सकते हैं; परन्तु द्वितीयोपशम सम्यग्दृष्टि मात्र उपशम श्रेणी चढ़ सकते हैं। 30. प्रश्न : श्रेणी किसे कहते हैं ? उत्तर : चारित्रमोहनीय की अनंतानुबंधी चतुष्क बिना शेष 21 प्रकृतियों के उपशम वा क्षय में निमित्त होनेवाले जीव के शुद्ध भावों अर्थात् वृद्धिंगत वीतराग परिणामों को श्रेणी कहते हैं। (जीवकाण्ड गा. 47)
SR No.032827
Book TitleGunsthan Vivechan Dhavla Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain, Ratanchandra Bharilla
PublisherPatashe Prakashan Samstha
Publication Year2015
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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