SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 307
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ में रहते हुए डर किस बात का? ऐसा उत्तर सुनने पर प्रसन्न होकर बादशाह ने सेना को हुकम दे दिया कि 'कहीं बाहर जाना हुआ तो 1000 सैनिक चारों ओर मन्त्रीश्वर के प्रतिक्रमण वक्त रक्षा करते रहें / एकबार माहणसिंह कैसे विधिसर प्रतिक्रमण करेगा इस हेतु बहाना निकालकर उसे कारागृह के अंदर हथकडियो में जकड लिया / फिर भी वहाँ जैलर को सुवर्ण देने का वचन देकर प्रतिक्रमण के समय हथकड़ियाँ निकलवाकर प्रतिक्रमण खडे खडे विधिपूर्वक ही किया / (2) वैसे ही रानी का राज्य था / 'एक स्त्री क्या राज्य करती होगी?' ऐसा सोचकर शत्रुराजा युद्ध करने आया / जैन मन्त्री ने रानी को आश्वासन दिया 'घबराओ मत, हम लड लेंगे / ' साथ में मित्र राजाओं को भी बुलवाया / राजधानी के बाहरि भाग में रात के वक्त छावणी डाली गइ | बडी सुबह जैन मन्त्री प्रतिक्रमण करने बैठे / वह देखकर मित्र राजा व अफसर लोग रानी से कहने लगे "ये बडे मन्त्रीसाब तो एगिदिया बेगिंन्दिया कर रहे है / सूक्ष्मजीव बचाने हेतु शरीर पर कपडे का छोर फिराता है, वह क्या महाहिंसामय युद्ध करेगा?" रानी को पूर्णतया विश्वास था कि 'बडे मन्त्री धोखा नहीं देंगे / ' युद्धभूमि में बडे मन्त्री ने नेतृत्व लेकर सेना को पानी चढाया, व घमासान युद्ध छिड गया / शत्रु सेना में भाग - दोड मची व यहाँ OR 3028
SR No.032824
Book TitleJain Dharm Ka Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy