________________ (230) जलाय, प्रतिबोधपामी संजमलियो, अणसण करी निजकारजकियो // 15 // ईशान देवलोक पंचमनवे, ललितांगदेवश्रयो त्यांहवे, स्वयंपना देवीत्यां जाण, धर्मिणी पूरवनव प्रमाण // 16 // बनवपूर्व विदेहमकार, लोहार्गलनयरे सुखकार, सुव जंघनृप लदमीवती, राणी पुत्रवज्रजंघसती // 17 // चक्रीपुत्री स्वयंप्रनाजीव, श्रीमतिनामे पुत्री सदीव, वनजंघ परण्यो स्वयंवरे, पुत्र प्रयोगे तिहां बिहुँमरे // 17 // सातमे जुगलिकउत्तरकुरु, आग्मे सौधर्मे सुरवरु, नवमें नवविदेहमकार, जीवानंद वैद्य सुखकार // 17 // श्रीजिनकृपाचन्छसूरि लणे, श्रोताजननिसुणो कमने, पांचमित्र तिहां बीजामट्या, सुखथीसहुना वांछित फट्या // 20 // ढाल बीजी। सुण बहिनी पियुडो परदेशी-ए देशी. ' एकदिनवैद्यना घरमांबैग, क्रीमाकरे सुखमांपेगरे, कोढीसाधु आव्योवरिता, वैद्यने निंदे हिलारे ॥२१॥सुणो नवियण सुगुणा जिनवाणी, शास्त्रमा एह गवाणीरे, साकरथी पण मीठी जाणी, अनुजव रसनी खाणी रे // 2 // वैद्यकहेदोय. औषधजोवे, तोही चिकित्साहोवैरे, अढीलाखसोनैयालश्ने, सेठनेहाटे जश्नेरे, सु० // 23 // गोशीर्षचन्दनने रत्नकंबल, वेश्नेमुनिपासपहुंतारे, खदपाकतैलनाप्रयोगे, मुनिनेकीधी सातारे सु० // 24 // सोवनवरण सरीर मुनीनो, करीने निजघर आयारे, सातक्षेत्रमा धनखरचीने, दीदाश्री मन लायारे सु // 25 // निरतिचार चारित्र पालीने, बारमें देवलोक