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________________ आराधना भवन : आराधक यहाँ धर्माराधना कर सकें इसके लिए आराधना भवन का निर्माण किया गया हैं। प्राकृतिक हवा एवं रोशनी से भरपूर इस आराधना भवन में मुनि भगवंत स्थिरता कर अपनी संयम आराधना के साथ-साथ विशिष्टि ज्ञानाभ्यास, ध्यान, स्वाध्याय आदि का योग प्राप्त करते हैं। साधु भगवंतों के उच्चस्तरीय अध्ययन के लिए ज्ञानमंदिर में अपन-अपने क्षेत्र के विद्धान पंडितजनों का विशिष्ट प्रबन्ध किया गया हैं। यह ज्ञान, ध्यान तथा आत्माराधना के लिये उत्तम स्थल सिद्ध हो सके इस हेतु यहाँ प्रयास किये गए हैं। मुमुक्षु कुटीर : देश-विदेश के जिज्ञासुओं, ज्ञान-पिपासुओं के लिए दस मुमुक्षु कुटीरों का निर्माण किया गया हैं। हर खण्ड जीवन यापन सम्बन्धी प्राथमिक सुविधाओं से सम्पन्न हैं। संस्था के नियमानुसार विद्यार्थी मुमुक्षु सुव्यवस्थित रूप से यहाँ रह कर उच्चस्तरीय ज्ञानाभ्यास, प्राचीन एवं अर्वाचीन जैन साहित्य का परिचय एवं संशोधन तथा मुनिजनों से तत्त्वज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। भोजनशाला एवं अल्पाहार गृह : यहाँ आनेवाले श्रावकों, दर्शनार्थियों, मुमुक्षुओं, विद्धानों एवं यात्रियों की सुविधा हेतु जैन सिद्धान्तों के अनुरूप सात्त्विक भोजन उपलब्ध कराने की यहाँ सुन्दर व्यवस्था हैं। निकट भविष्य में और भी विस्तार की यहाँ अनगिनत सम्भावनाएँ तथा योजनाएँ हैं। विशेष रूप से एक विशाल श्राविका उपाश्रय, यात्रिक धर्मशाला तथा नूतन भोजनालय शीघ्र ही निर्मित होगें... ज्ञानतीर्थ आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर : श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र की यह आत्मा हैं। यह स्वयं अपने आप में एक विशाल संस्था हैं / अग्रभाग में करीब 400 वर्ष प्राचीन स्फटिकरत्न की प्रभु पार्श्वनाथ की प्रतिमा से सुशाभित रत्नमंदिर से युक्त आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर के अन्तर्गत निम्नलिखित विभाग कार्यरत हैं: देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण हस्तप्रत भांडागार : यहाँ लगभग 2,00,000 से अधिक प्राचीन दुर्लभ हस्तलिखित शास्त्र ग्रंथ संग्रहित हैं। इनमें आगम, न्याय, दर्शन, योग, व्याकरण, इतिहास आदि विषयों से सम्बन्धित अद्भुत ज्ञान का सागर हैं। इस भांडागार में 3,000 से अधिक प्राचीन व अमूल्य ताड़पत्रीय ग्रंथ विशिष्ट रूप
SR No.032789
Book TitlePadma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2008
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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