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________________ संबंधक भूत कृदन्त के वाक्य अर्थमा जिन वाक्य क्रम.सं.भू.कृदन्त | भणीने 1. रक्षित्वा रक्षण करीने राजा रक्षण करीने पाछळथी शोक करे छे। नृपः रक्षित्वा पश्चात् शोचति। 2. नत्वा नमस्कार करीने भक्त भगवान ने नमस्कार करीने घरे जाय छ। भक्तः भगवते (भगवन्तम्) नत्वा गृहं गच्छति। | 3. | उषित्वा रहीने, वसीने धनपाल धारामां रहीने सत्यपुर गयो हतो। धनपालः धारायाम् उषित्वा सत्यपुरं अगच्छत् / 4. | पठित्वा साधुओए व्याकरण भणीने उपाश्रय तरफ प्रयाण कर्यु साधवः व्याकरणं पठित्वा वसतिं प्रातिष्ठन्त। | जीवित्वा जीविने, अजीवीका | पिता पुत्रनी आजीवीका चलावीने कंटाळे छ। चलावीने जनकः पुत्रं जीवित्वा पराजयते। क्रीडित्वा | रमीने बालको रमीने पाणी पीवा माटे घरे आवे छे। बालाः क्रीडित्वा जलं पातुम् गृहं आगच्छन्ति / पूजयित्वा पूजा करीने गुरूओ वीरनी पूजा करीने भोजन करवा माटे बेसे छे गुरवः वीरं पूजयित्वा भोजनार्थं उपविशन्ति। निन्दित्वा निंदा करीने अधम-पुरूष धर्मनी निंदा करीने खुश थाय छे अधम-पुरूषः धर्मं निन्दित्वा तुष्यति। 9. शोचित्वा शोक करीने ससरो गाममाथी शोक करीने घरे आव्यो। शुचित्वा श्वशुरः ग्रामात् शोचित्वा गृहं आगच्छत् / विजित्य . | विजय पामीने, वे राजाओ शत्रुओ ने जीतीने रथमा बेसे छ। जीतीने नृपौ शत्रून् विजित्य रथं (रथे) उपविशतः / 11. लोभित्वा, . लोभ करीने पुत्र पिताने ललचावीने पैसा लइ जाय छे लुभित्वा,लुब्ध्वा पुत्रः जनकं लोभित्वा वित्तं नयते। 12. लेखित्वा लखीने विद्यार्थी पुस्तक लखीने खुश थयो। छात्रः पुस्तकं लेखित्वा अतुष्यत्। 13. | मोहित्वा,मुहित्वा, मोह पामीने जीवो संसार साथे मोह करीने मुंझाय छ। | मुग्घ्वा, मुद्वा | मोह करीने जीवाः संसारेण सह मोहित्वा मुह्यन्ति। 14./ परित्यज्य | त्याग करीने नळराजा दमयंतीनो त्याग करीने वनमां गयो। | नळ: दमयन्तीम् परित्यज्य वनं अगच्छत् / 15. | दण्डयित्वा / दण्ड करीने राजा चोरने दण्ड करीने शांतिनी घोषणा करे छ / नृपतिः चौरं दण्डयित्वा शांतिम् घोषयति। 11781
SR No.032788
Book TitlePadma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2004
Total Pages208
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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