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________________ हस्तिकुण्डी का इतिहास-७० उस धवल राजा के चरित्र का सरस्वती भी वर्णन नहीं कर सकती। उसके चरित्र का पूर्ण वर्णन बृहस्पति के अतिरिक्त दूसरा कौन विद्वान् कर सकता है ? / / 21 / / राजधानी भुवो भर्तुस्तस्यास्ते हस्तिकुण्डिका / अलका धनदस्येव धनाढ्यजनसेविता // 22 // पृथ्वीपति धवल की राजधानी हस्तिकुण्डिका है / धनिकों से पूर्ण यह नगरी कुबेर की अलकानगरी के समान है / / 22 / / नोहारहारहरहास हिमांशुहारि, झात्कारवारिभुविराजविनिराणां / वास्तव्यजनचित्तसमं समन्तात्, संतापसंपदपहारपरं परेषाम् // 23 / / इस नगरी में राजाओं द्वारा निर्मित झरनों से झर-झर करता पानी बह रहा है / उन झरनों से उठी हुई प्रोसमाला शिवजी के धवल हास एवं चन्द्रमा की शुभ्रता को भी मात करती है। ये झरने इस नगरी के भव्यजनों के चित्त के समान निर्मल हैं एवं चारों दिशाओं से शत्रुओं के सन्ताप व सम्पत्ति का हरण कर लेते हैं / / 23 / / धौतकलधौतकलशाभिरामरामास्तना इव न यस्यां / संत्यपरेऽप्यहाराः सदा सदाचारजनतायाम् // 24 //
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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