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________________ शिलालेख-६६ सुनयतनयं राज्ये बालप्रसादमतिष्ठिपत, परिणतवया निःसंगो यो बभूव सुधीः स्वयं / कृतयुगकृतं कृत्वा कृत्यं कृतात्मचमत्कृतीरकृतसुकृती नो कालुष्यं करोति कलिः सतां // 16 // विद्वान् धवल राजा ने वृद्ध होने पर निस्संग होकर अपने नीतिनिपुण पुत्र युवराज बालाप्रसाद को राज्य सौंप दिया / पुण्यशाली इस राजा ने अपने चमत्कारपूर्ण कर्तव्य का पालन कर सतयुग का आदर्श उपस्थित किया। कलियुग सत्पुरुषों के मन में कालिमा उत्पन्न नहीं कर सकता / अर्थात् इस राजा ने अपने आप राज्य छोड़ दिया, ऐसा इस कलियुग में नहीं होता है / / 16 / / काले कलावपि किलामलमेतदीयम्, लोकां विलोक्य कलनातिगतं गुरगौघम् / पार्थादिपार्थिव गुणान् गरगयन्तु सत्या, नक व्यधाद् गुणनिधि यमितीव वेधाः // 20 // __ ब्रह्मा ने गुण के भंडार इस एकमात्र राजा को इसलिए बनाया है कि लोग कलियुग में भी इसके गणनातीत गुणों के समूह को देखकर पृथु आदि राजाओं के गुणों की गणना कर सके / // 20 // गोचरयन्ति न वाचो यच्चरितं चन्द्र चन्द्रिकारुचिरं / वाचस्पतेर्वचस्वी को वान्यो वर्णयेत्पूर्णम् // 21 //
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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