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________________ हस्तिकुण्डी का इतिहास-५२ इन्दुविजयजी, जनकविजयजी, प्रकाशविजयजी, रामविजयजी, बलवन्तविजयजी, जयविजयजी आदि साधुओं का समुदाय था। बरकाणा एवं फालना के बैंड एवं मण्डली भी इस अवसर पर उपस्थित थे। राजस्थान, गुजरात, मध्यभारत एवं पंजाब प्रान्त के बहुत से महानुभाव इस अवसर पर पधारे थे। विक्रम सं. 2006 की मार्गशीर्ष वदी 14, शनिवार को कुम्भ-स्थापना, दीप स्थापना, नवग्रह-नन्दावर्त-पूजन, ध्वज, कलश पूजन, जलयात्रा, बृहत् शान्ति स्नात्रादि के साथ 125 जिन-बिम्बों की अञ्जनशलाका व प्रतिष्ठा विधि-विधान सहित सम्पन्न हुई। राता महावीरजी के जिनमन्दिर की प्रतिष्टा व अञ्जनशलाका मार्गशीर्ष शुक्ला 6 शुक्रवार को हुई। इस अवसर पर मन्दिरजी के नीचे के तहखाने में पाटल (गुलाबी) वर्ण के पारस पत्थर की महावीर भगवान की एक विशाल प्रतिमा मार्गशीर्ष शुक्ला 10 को प्रतिष्ठित हुई। मार्गशीर्ष शुक्ला 10 बुधवार को बीजापुर ग्राम में स्थित सम्भवनाथजी एवं चन्द्रप्रभुजी के जिनमन्दिरों की प्रतिष्ठा हुई। इसी दिन तीन पुण्यशाली प्रात्माओं- 1. सादड़ीनिवासी श्री रतनचन्दजी बम्बोलो, 2. लाठारानिवासी श्री श्रीचन्दजी और 3. बेड़ा निवासी श्री शिवलालजी, ने भगवती दीक्षा अङ्गीकार की। साधुपने में इनके नाम मुनिश्री न्यायविजयजी, प्रीतिविजयजी व हेमविजयजी रखे गए। प्रीतिविजयजी एवं हेमविजयजी का स्वर्गवास हो गया है। पंन्यासजी न्यायविजयजी शासन की प्रभावना बढ़ा रहे हैं।
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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