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________________ वि. सं. 2006 की प्रतिष्ठा-५१ समिति ने जीर्णोद्धार के लिए धनराशि एकत्र करना प्रारम्भ किया। इस महान् कार्य के लिए श्री मद्रास श्वेताम्बर जैन संघ, बेंगलोर जैन सङ्घ, आनन्दजी कल्याणजी की पेढ़ी बम्बई, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन पेढ़ो, श्री गोड़ी पार्श्वनाथ जैन मन्दिर पायधुनी, बम्बई एवं अन्य महानुभावों ने महती सहायता की। श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन पेढ़ी ने मन्दिरजी के रङ्ग-मण्डप के फर्श के गलीचे के लिए एवं तहखाने के लिए सङ्गमरमर का पत्थर भिजवाया। विक्रमी सं. 2001 में जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ एवं विक्रमी सं. 2006 में मूल मन्दिरजी का काम पूरा हुआ। उस समय पंजाब केसरी युगवीर प्राचार्य महाराज श्रीमद् विजयवल्लभसूरीश्वरजी आदि का चातुर्मास गोड़वाड़ के सादड़ी नगर में था। बोजापुर श्रीसंघ ने सादड़ी जाकर प्राचार्य महाराज से विनती की कि श्री हस्तिकण्डी के राता महावीरजी के मूल मन्दिरजी का जीर्णोद्धार पूरा हो चुका है। अब अञ्जनशलाका तथा प्रतिष्ठा का महोत्सव सम्पन्न करना है। प्राचार्य महाराज ने श्रीसंघ की विनतो स्वीकार की। चातुर्मास समाप्त होने पर कार्तिक शुक्ला 15 के बाद उन्होंने बीजापुर की तरफ विहार किया। बीजापुर श्रीसङ्क का हर्षोल्लास असोमित था। सर्वत्र गुरुदेव के प्रति आभार व्यक्त किया जा रहा था। बीजापुर श्रीसङ्घ ने शिष्य मण्डली के साथ प्राचार्यश्री का भव्य स्वागत किया। प्राचार्यदेव के साथ आचार्य महाराज श्री ललितसूरीश्वरजी, प्राचार्य महाराज श्री विद्यासूरीश्वरजी पंन्यासजी श्री समुद्रसिडीमायासजी श्री पूर्णानन्दविजयजी असुनिशिजलाश्री विचार शिवमतोकेकपूर विजयजी, शिवविजयजी, श्रीमर्विजयजी, विशारदविजाती,
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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