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________________ हस्तिकुण्डी समाज भारतवर्ष की प्राचीन ध्वस्त नगरियों के इतिहास-लेखन में हस्तिकुण्डी को उचित न्याय नहीं मिला है। चन्द्रावती, जाबालिपुर, श्रीमाल, प्रभासपट्टन, धार, अवन्ती, राजगृह आदि प्राचीन नगरियों को इतिहास ने अपने एलबम में सजाया है और उल्लिखित प्रसंगों के दर्पण में आज भी हम उनके विगत वैभव को बार-बार देखते हैं परन्तु राष्ट्रकूटों की प्राचीन राजधानी हस्तिकूण्डी के शिलालेखों के परिप्रेक्ष्य में इस नगरी के जीवन्त वैभव को निहारने का अवसर या तो इतिहासकारों को नहीं मिला अथवा बीजापुर ( प्राचीन हस्तिकुण्डी ) के राठौड़ों के राज्य के अन्तर्वर्ती होने के कारण एवं जोधपुर में कन्नौज के राष्ट्रक्टों का राज्य होने के कारण अज्ञात परम्परा के इन (हस्तिकुण्डी के) राष्ट्रकूटों को महत्त्व नहीं देना चाहने के कारण श्री विश्वेश्वरनाय रेउ ने अपने इतिहास में इन राष्ट्रकूटों एवं इस नगरी की सामाजिक व्यवस्था का विशेष वर्णन नहीं किया। साहित्य समाज का दर्पण होता है। किसी भी युग के
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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