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________________ हस्तिकुण्डी के आचार्य-२६ शत्रुञ्जय की यात्रा कर संघ गिरनार पहुँचा। वहाँ भगवान को प्रांगी के चोरी गए आभूषणों को पुनः प्राप्त करवाया। गिरनार से सङ्घ फिर पाहड़ गया। आहड़ से प्राचार्य नडुलाई (वर्तमान नारलाई) गए। यहाँ गुरु के कई चमत्कार प्रसिद्ध हैं। नडुलाई के जैन गुजरात के वलभीपुर से आए थे। वलभी का नाश 850 वि. के आसपास हुआ था। यहाँ प्राचार्य के सदुपदेश से वलभीपुर के ऋषभदेव भगवान के मन्दिर को लाया गया था जिसे गुरुजी के चमत्कार रूप में माना जाता है। सम्वत् दस सौ दाहोतरे किया चौरसीवाद / बलभीपुर थी पारिगए ऋषभदेव प्रसाद / (यशोभद्रसूरिरास) यहीं पर सरिजी ने एक ब्राह्मण योगी का मानमर्दन किया था। सूरिजी की मृत्यु के पश्चात् उसकी भी मृत्यु हो गई। सम्वत् 1036 में सूरिजी का स्वर्गवास नाडलाई में हुआ जिसकी पुष्टि संस्कृत-चरित्र (सं. 1683) से होती है। . विक्रमानन्दविश्वाभ्रचंद्रप्रमितवत्सरे [1036] / शुचौ शुक्लचतुर्दश्यां स्वर्गेऽगान्मुनिपुङ्गवः // परन्तु यशोभद्ररास के अनुसार उनका स्वर्गवास नाडलाई में सम्वत् 1026 वि. में हुआ। 1. अलेक्जण्डर किनलॉक कार्बस–रासमाला कर्नलटाड / Western India Rajasthan, Book, P.217.
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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