SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हस्तिकुण्डी आ चार्य - सन्त अनन्त-उद्धारक होते हैं / मोक्षमार्ग पर स्वयं चल कर वे भव्य जीवों को आत्मोत्थान का मार्ग दर्शाते हैं। अपनी स्थापना से लेकर आज तक याने प्राचीन हस्तिकुण्डो से आज की हय डी के लोकोपकारक प्रदेश में अनेक सन्तों ने विचरण कर जन-समुदाय को लाभ पहुँचाया होगा; पर उन सभी मुमुक्षु आत्माओं के विषय में हमारी यथेष्ट जानकारी नहीं है / केवल कुछ ही आचार्यों के नाम काल की अनन्त गहराई में से निकल कर हमारे सामने आए हैं। उनके विषय में भी हमारी जानकारी अत्यल्प है और जो है वह भी किंवदन्तियों से परिपूर्ण / श्रावक वीरदेव को उपदेश देकर महावीर स्वामी के इस भव्य जिनालय को बनवाने वाले प्राचार्य सिद्धसूरीश्वर जी से लेकर 2006 वि. में प्रतिष्ठा करवाने वाले युगवीर आचार्य विजयवल्लभसूरीश्वरजी तक सन्तवाणी का एक अजस्र प्रवाह हस्तिकुण्डी, हस्तितुण्डी या हथंडी में बहता रहा है। उनमें से कतिपय प्राचार्यों के विषय में ज्ञात जानकारी यहां प्रस्तुत है।
SR No.032786
Book TitleHastikundi Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal Patni
PublisherRatamahavir Tirth Samiti
Publication Year1983
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy