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________________ विंशः सर्गः। 1327 सामने होना सर्वथा असम्भव है, अत एव स्तनों के विषय में भी आपका उपालम्म देना उचित नहीं हैं ] // 49 // ईडगेवेति पप्रच्छ प्रियामुन्नमिताननाम् / / 50 / / इतोति / इति इत्थम् , कलया प्रियायाः सख्या, पीयूषवर्षिभिःअमृतस्यन्दिभिः, सूक्तैः प्रियवचनैः, सिक्तः आकृतः, सन्तोषित इत्यर्थः / असौ राजा, उन्नमितं स्वपाणिना उन्नतं कृतम् , आननं मुखं यस्याः तादृशीम् , प्रियां दमयन्तीम् , ईक एव ? कलया यदुक्तं तत् किं सत्यमेव ? इत्यर्थः। इति एवम् , पप्रच्छ जिज्ञासयामास // 50 // 'कला' के द्वारा इस प्रकार ( 20 / 38-49 ) अमृतवर्षी मधुर वचनोंसे सिक्त (होनेसे प्रेमरससे परिपूर्ण ) ये नल प्रिया ( दमयन्ती) के मुखको ऊपर उठाकर (जैसा 'कला' कहती है ) यह ऐसा ही है ?' इस प्रकार पूछा // 50 // बभौ च प्रयसीवक्त्रं पत्युरुन्नमयन् करः / चिरेण लब्धसन्धानमरविन्दमिवेन्दुना / / 51 / / बभाविति / प्रेयसीवक्त्रं दमयन्तीमुखम् , उन्नमयन् उत्तोलयन् , पत्युः भत्तनलस्य, करः पाणिः: चिरेण महता कालेन, बहुकालान्तरमित्यर्थः / इन्दुना विधुना, निशाकाले सरसीवक्षःप्रतिबिम्बितेनेति भावः / लब्धं प्राप्तं, सन्धानं सहजवैरनिवृत्ती संयोगः येन तत् तादृशम् , अरविन्दं पद्मम् इव, बभौ शुशुभे / अभूतोपमेति दण्डी, अत्यन्तमसम्भवसम्बन्धोक्तेरतिशयोक्तिभेदः इत्यपरे // 51 // ____ अतिशय प्रिया ('दमयन्ती ) के मुखको ऊपर उठाता हुआ नलका हाथ बहुत समय के बाद ( सहज वैरको छोड़कर ) चन्द्रमाले सम्मिलित कमलके समान शोभित हुआ। [इससे नलके हाथका कमलतुल्य तथा दमयन्तीके मुखका चन्द्रतुल्य होना सूचित होता है ] // 51 // ह्रीणा. च स्मयमाना च नमयन्ती पुनमुखम् / दमयन्ती मुदे पत्युरत्युच्चैरभवत्तदा // 52 // होणेति / तदा तत्काले, नलकत्त कदमयन्तीमुखोत्तोलनकाले इत्यर्थः। हीणा लजिता च / 'नुदविद-' इत्यादिना विकल्पात् निष्ठानत्वम् / स्मयमाना मन्दं हसन्ती च, दमयन्ती भैमी, पुनः भूयः, मुखं वदनम् , नमयन्ती भवनमनं कुर्वती सती पत्युः नलस्य, अत्युच्चैः उच्चतराय, मुदे आनन्दाय, अभवत् अजायत / / 52 // ___उस समय ( 'कला' की कही हुई बातको लेकर दमयन्तीका मुख उठाकर वैसा प्रश्न करनेपर ) लज्जित तथा स्मितयुक्त एवं नलके द्वारा अधिक ऊपर उठाये गये मुखको ('ये मेरा स्मित देख न लें' इस भावनासे ) फिर नीचे करती हुई वह दमयन्ती पतिके हर्ष के लिए ( अथवा-पतिके अधिक हर्षके लिए ) हुई अर्थात् वैसा पूछनेपर लज्जित एवं स्मितयुक्त
SR No.032782
Book TitleNaishadh Mahakavyam Uttararddham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas Shastri
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year1997
Total Pages922
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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