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________________ 20 नैवषीयचरितं महाकाव्यम् अनुवाद:-सुन्दरीके मुखरूप चन्द्र को हठात् देखकर वियोगी नलके मूदे गये दोनों नेत्रोंने सुन्दरीके मुखका चन्द्रत्व और. अपना कमलत्व दोनोंको दृढ़तर बना लिया // 26 // टिप्पणी-तन्वीमुखं = तन्व्या मुखं, तत् (ष० त०), तदेव चन्द्रम्, यह व्यस्तरूपक है / अधिगत्य अधि+ गम्+क्त्वा (ल्यप्) / वियोगिनः-वियोग+ इनिः+ हुस् / तदिन्दुता = तस्य इन्दुता (ष० त०)। स्वसरोजता = स्वयोः सरोजता (10 त०)। द्वयं = द्वि+तयप् ( अयच् ) + सुः / द्रढीयः = अतिशयेन दृढम्, दृढ+ ईयसुन्, "र ऋतोहलादेलंघोः” इस सूत्र से "ऋ" के स्थानमें 'र' भाव / नलके नेत्रोंने दमयन्तीके मुखको देखकर उसका चन्द्रभाव और अपना कमलभाव न किया होता तो उसको देखनेसे नेत्रोंका मूदा जाना कैसे होता? सुन्दरीका मुख चन्द्र के समान मनोहर और नलके नेत्र कमलके समान सुन्दर हैं यह भाव प्रतीत होता है। परस्त्रीका मुख देखना अनुचित समझकर नलने नेत्रोंको मूद लिया कहनेसे उनकी धीरोदात्तता प्रतीत होती है। इस पद्यमें रूपक अलङ्कार है / / 26 / / चतुष्पये तं विनिमीलिताक्षं चतुर्दिताः सुखमग्रहीष्यन् / संघटप तस्मिन् भृशभीनिवृत्तास्ता एव तद्वत्म न चेददास्यन् / / 27 // अन्वयः-चतुप्पथे विनिमीलिताक्षं तं चतुर्दिगेता: ताः तस्मिन् संधटय भृशभीनिवृत्ताः ता एव तद्वर्त्म न अदास्यन् चेत् सुखम् अग्रहीष्यन् // 27 // ध्याख्या-चतुष्पथे = चतुर्मार्गे, विनिमीलिताक्षं = मुद्रितनयनं, परस्त्रीदर्शनभियेति शेषः / तं = नलं, चतुर्विंगेताः = चतसृभ्यो दिग्भ्यः ( काष्ठातः ) एताः ( आगताः ), ता: = नार्यः, तस्मिन् = नले, संघटय = अभिहत्य, भृशभीनिवृत्ता: = गाढभयपरावृत्ताः, ता एव = ता नार्य एव, तद्वर्त्म = नलमार्ग, न अदास्यन् चेत् = नो दधुश्चेत्, सुखम् = अनायासेन, अग्रहीप्यन् = गृह्णीयुः // 27 // अनुवाद:-चौराहेमें आँखोंको मूदनेवाले नलमें चारों दिशाओंसे आयी हुई स्त्रियां ठोकर खाकर अत्यन्त भयसे हटती हुई उनको मार्ग न देतीं तो अनायास ही नलको पकड़ लेतीं // 27 // टिप्पणी-चतुष्पथे = चतुर्णा पथां ममाहार: चतुष्पथं, तस्मिन् ( द्विगु० ) / विनिमीलिताक्षं = विनिमीलिते अक्षिणी येन, तम् ( बहु० ) / चतुर्विंगेता: = चतसृभ्यो दिग्भ्य एताः, "तद्धितार्थोत्तरपदममाहारे च" इम मूत्रमे उत्तरपद
SR No.032779
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheshraj Sharma
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year
Total Pages1098
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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