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________________ द्वितीयः समः षण्मुखं षट् मुखानि यस्य सः, तम् (बहु० ) "यरोऽनुनासिकेऽनुनासिको वा" इससे अनुनासिक ण आदेश, एक पक्षमें "षड्मुखम्" / "कात्तिकेयो महासेक शरजन्मा षडाननः" इत्यमरः / भजते = "भज सेवायाम्" धातुसे लट्+त। कुचशोभया=कुचयोः शोभा, तया ( प० त० ) / जितकुम्भः=जितो कुम्भी यस्य सः ( बहु० ) / इभराट् =राजति इति राट्, “राज दीप्तौ" धातुसे "सत्सूद्विष." इत्यादि सूत्रसे विप् प्रत्यय / इभानां राट् (10 त०) जम्भरिपु जम्भस्य रिपुः, तम् (10 त०), "जम्भभेदी हरिहयः स्वाराण नमुचिसूदनः" इत्यमरः / इस पद्यमें "भजते" इस एक क्रियामें अप्रस्तुत शिखौ और इभराट् इनका कर्तृत्वसे सम्बन्ध होनेसे तुल्ययोगिता, षण्मुख और जम्भरिपुके भजनके प्रति निर्मितबर्हगर्हणत्व और जितकुम्भत्वकी हेतुतासे पदार्थहेतुक दो काव्यलिङ्ग तथा वैसे हेतुसे भजनद्वयका सम्बन्ध न होनेपर भी सम्बन्धका प्रतिपादन करनेसे अतिशयोक्तियां हैं, इस प्रकार इन अलङ्कारों सङ्कर है // 33 // उदरं नतमध्यपृष्ठतास्फुरवङ्गुष्पदेन मुष्टिना। चतुरङ्गुलमध्यनिर्गतत्रिबलिभ्राजि कृतं दमस्वसुः // 34 // अन्वयः-दमस्वसुः उदरं नतमध्यपृष्ठतास्फुरदगुष्ठपदेन मुष्टिना चतुरगुलमध्यनिर्गतत्रिबलिम्राजि कृतम् // 34 // व्याख्या-दमस्वसुः=दमयन्त्या, उदरं= जठरं, नतमध्यपृष्ठतास्फुरदङ्गुष्ठपदेन = निम्नमध्यप्रदेशपश्चाद्भागतास्फुटीभववृद्धाङ्गुलिन्यासस्थानेन, मुष्टिना=सम्पीण्डितागुलिपाणिना, चतुरगुलमध्यनिर्गतत्रिबलिभाजि अमुलिचतुष्टयाऽन्तरालनिःसृतबलित्रयशोभि, कृतं विहितं, कौतुकिना विधिनेति शेषः / मुष्टिग्राह्यमध्येयं दमयन्तीति भावः / / 34 / / अनुवाद-दमयन्तीका पेट, ब्रह्माजीने पीठका मध्यभाग नत होनेसे अंगूठेकास्थान व्यक्त होनेवाली मुट्ठीसे चार अंगुलियोंके बीचसे निकली हुई तीन उदररेखाओंसे शोभित बनाया है // 34 // टिप्पणी-दमस्वसुः=दमस्य स्वसा, तस्याः (10 त०)। उदरं"पिवण्डकुक्षी जठरोदरं तुन्दम्" इत्यमरः / नतमध्यपृष्ठतास्फुरदगुष्ठपदेन% नंतःमध्यः यस्य तत् (बहु०), "मध्यमं चाऽवलग्नं च मध्योऽस्त्री" इत्यमरः / नवनध्यं पृष्ठं यस्य ( उदरस्य ) तत् (बहु० ), तस्य भावः तत्ता, ( नतमध्यपृष्ठ+तल् +टाप् ) / स्फुरत् अङ्गुष्ठपदं यस्य सः ( बहु०)। नतमय
SR No.032779
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheshraj Sharma
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year
Total Pages1098
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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