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________________ १० श्री उत्तराध्ययनसूत्रनी सज्झायो. मुगति नगरनुं राज ॥ ते गणो आराधक श्रीब्रह्म तसु पय लागे । करजोमी नवोनव बोधिलाल सुख मागे ॥ जीव० ॥७॥ इति काम सकाम मरणीय गीतम् ॥ ५॥ श्री निग्रंथीय सज्जाय ६. (एकदिन २ दोय मुनि देखीया-ए देशीमां) जिणवर २ नाषित संचलोए । धरमह २ दोय प्रकारके ॥ ज्ञान क्रिया गुण अोलखोरे । जिमलहो २ शिव सुख सारके । जिणवर नाषित संनलोए-संजलो नवियण जेय अज्ञानी.क्रिया कष्ट घणूं करे। नवपार तेय न किमें पहुंचे पुरक सहतो बहु फिरे॥ जिम बधिर आगल गीत नाटक अंधपास न सोहए। जिम तुसह खंगण आण विणु धर्म पापमंल नवि धोवए ॥१॥श्मगणि २ समकित ओलखोए । थायो समता जाव के प्रीति धरो धर्मसु सदाए। जवजल र तरवा नावके । श्म गणि सम कित अोलखोए-ओलखो एह असार सगपण मात बंधव नारीना।
SR No.032735
Book TitleSazzay Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandrasuri
PublisherGokaldas Mangadas Shah
Publication Year1922
Total Pages264
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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