SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यहाँ है सादि अनंत समाधि सुख की आदि करनेवाले आईगराणं। यहाँ है मोक्षदायी मंगलमय तीर्थ के प्रणेता तित्थयराणं। तीर्थ करनेवाले तीर्थंकर हमारे अंत:करण में पधार रहे है। हमारे अंतरभवन में पधारकर परमप्रभु तीर्थंकर किस तरह हममें हमाराही स्वयं का संबुद्धत्त्व प्रगट करते है? कल हम इस तैयारी के साथ यहाँ तैयार रहेंगे। ___ आखे बंद करे नमोत्थुणं तित्थयराणं को अपने अंत:करण में आमंत्रित करे। सन्मानित करे। स्वयं के भीतर तित्थयराणं मंत्र के साथ प्रवेश करे। नमोत्थुणं तित्थयाणं नमोत्युणं तित्थयाणं नमोत्युणं तित्थयाणं
SR No.032717
Book TitleNamotthunam Ek Divya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherChoradiya Charitable Trust
Publication Year2016
Total Pages256
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy