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________________ २. दीक्षा लेते समय करेमि भंते सूत्र का उच्चारण कर हमारे भीतर रहे हुए भव, भय और भ्रम में भटके हुए जीवों को मोक्ष की मंगलयात्रा में जोड लेते हैं। यह उनकी तरफ से मिलनेवाला दूसरा अनुदान हैं। । ३. समवशरण में णमो तित्थस्स कहकर हमारा तीर्थ में प्रवेश कराते हैं। तीर्थ में देते हैं तत्त्व। तत्त्व में प्रगट करते हैं सत्त्व और सत्त्व से प्रगट होता हैं सिद्धत्त्व। __ आज हम जीवदयाणं पद के द्वारा परमात्मा को नमस्कार प्रस्तुत कर सिद्धत्त्व का वरदान पाने के लिए बिनती करें कि हमें निजत्व का ज्ञान दे। स्व का भान दे और बोधि का वरदान दे। बोधि को देते हुए बोहिदयाणं को पाने के लिए जीवदयाणं में लयबद्ध होते हैं। नमोत्युणं जीवदयाणं नमोत्युणं जीवदयाणं नमोत्युणं जीवदयाणं 164
SR No.032717
Book TitleNamotthunam Ek Divya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherChoradiya Charitable Trust
Publication Year2016
Total Pages256
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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