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________________ दो तीन सौ वर्षों से भागरे ही में बसा हुआ है। इस खानदान में बाला छोटेलालजी एक मशहुर व्यक्ति हो है। आप ही ने इस फर्म को करीब ७० वर्ष पहिले स्थापित किया था। आपका स्वर्गवास सम्वत् * १९४४ में हो गया। आपके चार पुत्र हुए जिनके नाम काला अवीरचन्दजी, लाला कपूरचन्दजी, लाला गुलाबचन्दजी और लाला मिहनलालजी था। लाला अबीरचन्दजी का जन्म संवत् १९३६ में हुआ। आप इस खानदान में बड़े योग्य और प्रतिभाशाली पुरुष थे । आपका स्वर्गवास सम्वत् १९६५ में हुआ। आपके पुत्र लाला चांदमलजी का स्वर्गवास सम्वत् १९४५ में केवल ३२ वर्ष की उम्र में हो गया । आपके चितरंजनसिंहजी नामक एक पुत्र है। ____ लाला कपूरचन्दजी का जन्म सम्वत् १९२१ में हुमा । आपका भी स्वर्गवास हो गया । आपके दो पुत्र हुए मगर दोनों का कम उम्र में ही स्वर्गवास हो जाने से आपके नाम पर लाला किरोड़ीमलजी दत्तक लिये गये। काका किरोंदीमलजी का जन्म संवत् १९६० का है। आपके एक पुत्र हैं जिनका नाम काला गुलाबचन्दजी का जन्म संवत् १९३० में हुमा । आपका स्वर्गवास संवत् १९८९ में हो ‘गया । भापके पुत्र का देहान्त आपकी मौजूदगी में ही हो जाने से आपने अपने नाम पर लाला लक्खीमलनी "को दसक लिए । लाला लक्खीमकजी का जन्म संवत् १९१५ का है। आपके श्री देवेन्द्रसिंहजी मॉमक एक पुत्र हैं। लाला मिट्ठनलालजी का जन्म संवत् १९३३ का है। आप इस समय इस खानदान में सबसे प्रधान है। आपके दो पुत्र हैं जिनके नाम सूरजमलजी और जीतमल जी हैं । सूरजमलजी का जन्म संवत् १९५५ है। इस खानदान की तरफ से भागरे में उपाध्याय वीरविजय जैन श्वेताम्बर पाठशाला नामक एक पाठशाला छः हजार रुपये से खुलवाकर उसे पंचायत के सिपुर्द कर दिया है। कोठारी वेरीसालसिंहजी दूगड, जोधपुर आप का मूल निवास नामली (रतलाम) है। वहाँ आपका परिवार बहुत प्रतिष्ठा सम्पन्न माना जाता था। आपके पिताजी जव्हारसिंहजी दूगढ़ रतलाम स्टेट के दीवान रहे थे। कोठारी वेरीसाल सिंहजी इस समय जोधपुर रियासत के ऑडिट विभाग में असिस्टेंट आडीटर हैं। आपने अपना निवास पही बना लिया है। भाप बड़े शिक्षित तथा प्रतिष्ठित सज्जन हैं । खेद है कि समय पर आपके खानदान का परिचय गुम हो जाने के कारण हम विस्तृत नहीं देसके। पदि प्राप्त होसका तो इस ग्रन्थ के परिशिष्ट विभाग में विस्तृत परिचय देने की कोशिश करेंगे।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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