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________________ मोसवाल जाति का इतिहास श्री प्यारचंदजी मुरड़िया- भाप भीकमकजी के पांचवे पुत्र थे। आपका जन्म संवत् १९१ में हुभा। आप बड़े विचारशीक तथा सहिष्णु प्रकृति के सज्जन थे। आप इंजिनीयरिंग डि० में सर्विस करते थे। आपकी निगरानी में कई भव्य इमारतें, तालाब, सड़कें वगैरह बनीं। आपकी इन सेवाभों से प्रसन्न होकर महाराणाजी ने, आपको ऋषभदेवजी तीर्थ के प्रबन्ध के सुपरिन्टेन्डेन्ट पद पर नियुक्त कर सम्मानित किया था। इसके पश्चात् आपने कई पदों पर काम किया। आप बड़े मिलनसार तथा जैन धर्म के जानकार थे। आप बड़े धार्मिक पुरुष थे। आपका संवत् १९८१ में स्वर्गवास हुआ। भापके चार पुत्र हुए जिनमें से श्री मालूमसिंहजी विद्यमान हैं । शेष सब भापकी विद्यमानता में ही स्वर्गवासी हो गये थे। मुरड़िया मालूमसिंहजी-आपका जन्म संवत् १९४६ में हुआ। आपने एफ० ए० तक शिक्षा प्राप्त की। तदनन्तर आप स्टेट की ओर से बीजोल्या के प्रथम श्रेणी के उमराव राव सवाई केशरीसिंहजी की नावालिगी के समय गार्डियन नियुक्त हुए। इसके पश्चात् आप भदेसर ठिकाने के प्रधान कार्यकर्ता नया बानसी ठिकाने के जुडिशियल व रेग्यू के व्यवस्थापक पद पर नियुक्त हुए। तदनन्तर माप इसी ठिकाने की बागडोर सम्हालने के जवाबदारी पूर्ण कामको करते रहे । आप बड़े योग्य व्यवस्थापक तथा मिलनसार सजन है। भापके संग्रामसिंहजी तथा भीमसिंहजी नामक दो पुत्र हैं । आप दोनों बन्धु पढ़ते हैं। अर्जुनलालजी मुरड़िया-आप श्रीलालजी के छटे पुत्र थे। आपका जन्म संवत १९१७ में हुभा। आप सरल प्रकृति के धार्मिक पुरुष थे। आपका संवत् १९०१ में स्वर्गवास होगया। आपके बलवन्तसिंहजी एवम् रोशनलालजी नामक दो पुत्र हैं। बलवन्तसिंहजी ने मेट्रिक तक पढ़ कर सब इन्स्पेक्टर के मोहदे पर काम किया। वर्तमान में माप फारेस्ट में रेज अफसर हैं। रोशनलालना का जन्म संवत् १९५६ मे हुना। मापने भी मेट्रिक पास कर एल. सी० पी० एस० नामक मेडिकल डिग्री को प्राप्त किया है। इस समय भाप नीमच में सर्विस करते हैं। आपके जतनसिंहजी, लक्ष्मीकाक बी, चिमनसिंहजी तथा भंवरलाळजी नामक चार पुत्र हैं। मुरड़िया शोभालालजी वकील का खानदान, उदयपुर इस खानदान के सज्जन उदयपुर में निवास करते हैं। इस परिवार में मुरदिवा कोषालाजी एवं जवाहरचन्दजी दोनों भ्राता हुए। मुरड़िया शोमाचन्दजी पवम् जवाहरचन्दजी-मुरविण सोमाचन्दजी बने प्रसिद्ध वकील है। आप इस समय उदयपुर में वकालान करते हैं। अखिल मारवाद पताम्बर जैन धर्मानुयायियों के आप
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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