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________________ मुरड़िय ही कार्य कुशल, योग्य व्यवस्थापक तथा पोलिसे के कार्यों में निपुण हैं। इस लाइन में आपका अनुभव काफी बढ़ा चढ़ा है। आपके रतनसिंहजी तथा मोहनसिंहजी नामक दो पुत्र हैं। रतनसिंहजी मुरड़िया - - आपका सन् १९११ में जन्म हुआ। आप बड़े उत्साही तथा मिलनसार सज्जन हैं । आप एफ० एस० सी० की परीक्षा पास कर इस समय एग्रीकल्चर कॉलेज पूना में विद्याध्ययन कर रहे हैं। आपके भगवतसिंहजी नामक एक पुत्र हैं। मोहनसिंहजी सुरड़िया का जन्म सन् १९१५ में हुआ। आप बड़े तीक्ष्ण बुद्धि के युवक हैं। आपने आगरा युनीवर्सिटी से प्रथम दर्जे में F. Sc. की परीक्षा पास की तथा इस समय अंछाहाबाद युनिवर्सिटी में B. Sc. की परीक्षा में बैठे हैं। आप बड़े मिलनसार तथा उत्साही नवयुवक हैं। आप बड़े योग्य, शिक्षित, की परीक्षा पास की। श्रेणी में उत्तीर्ण हुए । डी० जी के आफिस में जुडिशियल का काम करते रहे । तथा प्रबन्ध चातुरी से प्रसन्न होकर आपको उदयपुर रणजीत सिंहजी मुरड़िया - आपका सन् १८९६ में जन्म हुआ । गम्भीर तथा शांत प्रकृति के सज्जन हैं। आपने आगरा युनिवर्सिटी से बी० ए० तदनन्तर आप एल० एल० बी० की परीक्षा में अहमदाबाद युनिवर्सिटी की प्रथम इसके पश्चात् आप दो वर्ष तक आबू के पु० मेवाड़ के उच्च अधिकारियों ने आपकी कार्य-कु सिटी मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्त कर सम्मानित किया इसके बाद आप क्रमशः वागोर, खमनोर, राजनगर, आसिन्द आदि २ जिलों के हाकिम रह चुके हैं। वर्तमान में आप लसाड़िया जिले के हाकिम हैं । आप बड़े लोकप्रिय तथा अनुभवी सज्जन हैं। प्रजा व सरकार दोनों ही आपके कामों से बड़ी प्रसन्न रहती हैं । उदयपुर की ओसवाल समाज में आपकी अच्छी प्रतिष्ठा है। आपके बाबु जसवन्तसिंहजी, प्रतापसिंह जी तथा महेन्द्रसिंहजी नामक तीन पुत्र हैं। इनमें जसवन्तसिंहजी बड़े तीक्ष्ण वृद्धि वाले, सुशील तथा । होनहार बालक हैं । आपको चित्रकारी का शौक है। आप इस समय विद्याभवन में छठी क्लास में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। फतहलालजी मुरड़िया - आप श्रीलालजी के चौथे पुत्र थे। आपका जन्म संवत् १९०५ में हुआ । आप बुद्धिमान एवं साहसी पुरुष थे । आपका संवत् १९५९ में स्वर्गवास हुआ। आपके छत्रसिंहजी नामक एक पुत्र हैं। छत्रसिंहजी मुरड़िया का जन्म संवत् १९५९ में हुआ। आप बड़े मिलनसार सज्जन हैं। आप वर्तमान में केलवा जागीरदार के यहां नामे खीगे की अफसरी का कार्य करते हैं । आप हिसाब के कामों में बड़े निपुण हैं। आपके सुजानसिंहजी, दलपतसिंहजी, जोधसिंहजी तथा धनसिंहजी नामक चार पुत्र हैं। ३९१
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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