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________________ ओसवाल जाति का इतिहास सुगनचंदजी दत्तक लिये गये । आपके भी कम वर्ष में स्वर्गवासी हो जाने से आपके नाम पर आपके छोटे भाई रेखचन्दजी दत्तक आये । आपके पुत्र मदनलालजी और शुभकरणजी बालक हैं। सेठ राजमल्लजी कांकरिया--आपने सेठ छत्तूमलजी के बाद इस फर्म के व्यापार को खूबबदाया । आप बड़े योग्य तथा जैन धर्म के अच्छे जानकार थे । संवत् १९८२ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र दूसराजजी एवं जेठमलजी हैं दूसराजजी के पुत्र पूरनमल बाबूलाल हैं । इतना बड़ा परिवार होते हुए भी इस में यह विशेषता है कि यह कुटुम्ब सम्मिलित रूप से बड़ी यत्परतापूर्वक अपने तमाम व्यापार को संचालित कर रहा है। आपका हेड आफिस तुलसीघाट ( गायबंदा) में छत्तमल मुलतानमल के नाम से तथा ७।२ बाबूलाल लेन कलकत्ता में इसकी एक ब्रांच है। इसके अलावा बंगाल प्रान्त के पलासवाड़ी, सादुलपुर, चौंतरा, कोमलपुर, दौलतपुर आदि स्थानों में भिन्न २ नाम से दुकानें हैं जिनपर जूट खरीदी बिक्री, गल्ला, कपड़ा और ब्याज का काम होता है । धूलचन्द कालूराम कांकरिया, ब्यावर इस परिवार के पूर्वज कॉकरिया नंदरामजी बिरांठिया ( जोधपुर ) से लगभग ९० साल पूर्व आये । उस समय इस कुटुम्ब की आर्थिक परिस्थिति बहुत साधारण थी। इसी वंश में सेठ धूलचंदजी कोरिया का जन्म संवत् १९१४ में हुआ । उन्होंने अपनी सम्पति, मान, प्रतिष्ठा तथा व्यापार को खूब बढ़ाया । आप संवत् १९८५ में स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र कालूरामजी कोकरिया का जन्म संवत् १९५० 'हुआ । सेठ कालूरामजी काँकरिया की सत्कार्यों में पैसा खर्च करने की विशेष रुचि रहती है । आपने संवत् १९७७ से ही व्यावर के जैन मिडिल स्कूल का खर्च भार अपने ऊपर ले लिया है। इस समय आप इस संस्था को ५०० मासिक दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त आपने १५/२० हजार के लागत की एक बिल्डिंग इस संस्था को देदी है। इसी तरह स्थानीय जैन सेवा समिति नामक संस्था को भी आपने अपना नेमीभवन नामक मकान प्रदान किया है। आपने व्यावर स्टेशन पर एक ३०।४० हजार की लागत से धर्मशाला बनवाई । इसी तरह के हर एक धार्मिक व विद्यावृद्धि के कामों में आप सहायताएँ देते रहते हैं । सेठ कालूरामजी कांकरिया व्यावर के प्रसिद्ध बैंकर हैं। इस समय आप स्थानीय म्युनिसीपालिटी के मेम्बर, सराफान चेम्बर के मेंबर, एडवर्ड मिल के डाइरेक्टर व जैन गुरुकुल व्यावर के व्यवस्थापक हैं। आपके लक्ष्मीचन्दजी, नेमीचन्दजी तथा हेमचन्दजी नामक तीन पुत्र हैं। आप तीनों पड़ते हैं । आपकी फाजिल्का दुकान पर ऊन, आढ़त, धान्य, और बैंकिग को कारवार होता है ।. सेठ हजार मिल जेठमल कांकरिया, ब्यावर इस खानदान के पूर्वज, कांकरिया सावंतमलजी अपने पुत्र हजारीमलजी, जेठमलजी तथा जुहार ११०
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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