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________________ कांकरिया २०० साल पहिले गोगोलाव ( नागोर ) आये । इनके पश्चात् क्रमशः ईश्वरचन्दजी, सवाईसिंहजी और रामचन्दजी हुए । आप लोग आस पास के गावों में साधारण देनलेन का व्यापार करते थे । सेठ रामचन्दजी के छतमलजी, हजारीमलजी, मुल्तानमकमी, चौथमलजी और रामलालजी नामक ५ पुत्र हुए। सेठ छत्तूमलजी कांकरिया - आप गोगोलाव से ६० साल पूर्व बंगाल में तुलसीघाट ( गायबंदा) आये और यहाँ सेठ कुशलचन्दजी बागचा लुंगसरा निवासी की फर्म पर नौकर हो गये । ४ साल बाद ही आप इस फर्म के भागीदार होगये और घोड़े समय के पश्चात् आपने अपना घरू व्यापार भी आरम्भ किया। आपके सब भाइयों मे भी व्यापार की उन्नति में पूर्ण भाग लिया । संवत् १९५१ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके अमोलकचन्दजी, दुलीचन्दजी, सुगनमलजी तथा रेखचन्दजी नामक ४ पुत्र हुए। इनमें दो छोटेभाई अपने काका चौथमलजी के यहां दत्तक गये हैं। अमोलकचन्दजी कांकरिया - आपका जन्म संवत् १९४१ में हुआ । छस्तू मलजी के स्वर्गवासी हो जाने पर आपने ही इस फर्म का संचालन किया । आप बड़े धार्मिक एवं परोपकार वृत्ति के पुरुष थे । संवत् १९८९ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र बच्छराजजी शिक्षित सज्जन हैं और व्यापार में भाग लेते हैं तथा कन्हैयालालजी व मोतीलालजी पढ़ते हैं । । दुलीचन्दजी कांकरिया - आपका जन्म संवत् १९४४ में हुआ मिलनसार व्यक्ति हैं तथा फर्म का व्यापार बड़ी उत्तमता से सम्हालते हैं । जी व्यापार में सहयोग लेते हैं तथा दूसरे सोहनलालजी बालक हैं। आप बड़े योग्य और आपके बड़े पुत्र भँवरलाल सेठ हजारीमलजी कांकरिया - आप विशेषकर देश में ही निवास करते थे । आपका स्वर्गवास संवत् १९७६ में हुआ। आपके मुकनमलजी, किशनलालजी तथा भेरोंदासजी नामक ३ पुत्र हैं। इनमें किशनलालजी सेठ मुलतानमलजी के नाम पर दत्तक गये हैं। सेठ सुकनमलजी का जन्म संवत् १९४९ में तथा भैरोंदासजी का संवत् १९६० में हुआ । आप दोनों सज्जन व्यापार के काम में भाग लेते हैं । मुकनमलजी के पुत्र चम्पालालजी, दीपचंदजी और हरकचन्दजी तथा भेदाननी के पुत्र हीरालालजी और मांगीलालजी हैं। सेठ मुलतानमलजी कांकरिया — आपने भी अपनी फर्म का व्यापार बड़ी योग्यता से चलाया । संवत् १९७२ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके नाम पर आपके भतीजे किशनलालजी दत्तक आये । आप योग्यता पूर्वक फर्म का संचालन करते हैं। आपके पुत्र पार्श्वमलजी तथा सरदारमलजी बालक हैं । सेठ चौथमलजी कांकरिया - आप छोटी वय में ही स्वर्गवासी होगये थे । आपके नाम पर ३५७
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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