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________________ मोतवाल बाति का इतिहास संवत् १८५६ में ये मेड़ते के हाकिम बनाये गये । इनके मलूकचन्दजी, दलीचन्दजी एवं थानमलजी नामक तीन पुत्र हुए। इन तीनों भाइयों ने भी दरवार की अच्छी सेवाएं कीं । मेहता दलीचन्दजी के साथ उनकी स्त्री सती हुई। इनकी छतरी जोधपुर में बनी हुई है। मेहता थानमलजी पर्वतसर के हाकिम तथा और भी कई मित्र र पदों पर रहे । आपके नाम पर नेणिया गांव पट्टे था । मेहता थानमलजी के शंभूमलजी और जोरा वरमलजी नामक दो पुत्र हुए। मेहता शम्भूमल और जोरावरमलजी-आप दोनों महाराज मानसिंहजी और तखतसिंहजी की सेवा में बहुत काम करते रहे । उनियारे के झगड़े का फैसला करने के लिए बड़ी २ रियासतों के मौतवीर मुसाहिब एक त्रित हुए थे, इनमें जोधपुर की ओर से शंभुमलजी मुकर्रर किये गये थे। इसके पश्चात ये पर्वतसर के हाकिम और किलेदार रहे। इसके पश्चात् आपने छानमलजी सिंघवी के साथ दीवानगिरी का काम किया। मेहता शंभुमलजी का संवत् १९९९ में स्वर्गवास हुभा । मेहता जोरावरसिंहजी ने हाजी महम्मदखां के दीवानगी में नायबी का काम किया । मेहता शंभूमलजी के जवानमलजी एवं दानमलजी नामक पुत्र हुए । जवानमलजो कुमार जसवंतसिंहजी के युवराज काल में इनकी सेवा में रहे और फिर डीडवाने के हाकिम हुए । ____ मेहता दानमलजी-आपने मारोठ की हाकिमी का काम किया। आप बड़े सदाचारी तथा दयालु प्रकृति के पुरुष थे। यही कारण है कि विरादरी में भापका अच्छा सम्मान था। संवत् १९६३ में आपका स्वर्गवास हुआ। भापके पुत्र मेहता बस्तावरमलजी हुए। मेहता बख्तावरमलजी-आप इस खानदान में बड़े प्रतापी और प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं। आपका जन्म संवत् १९१९ में हुमा । संवत् १९४१ में भाप महकमा वाकयात और महकमा नमक के सुपरिटेण्डेण्ट नियुक्त हुए । इसके पश्चात् कई परगनों के सुपरिटेण्डेण्ट रहकर भाप मारवाड़ और मेवाड़ की सरहह पर जोधपुर राज्य की भोर से मोतमिन्द मुनर हुए। यहाँ पर आपको ४२०) मासिक वेतन मिलता था। इसके पश्चात् भाप अफसर जवाहररवाना, सुपरिटेन्डेन्ट सेन्ट्रल जेल, हाकिम मेड़ता और सुपरिटेण्डेन्ट बराबम पेशा नियुक्त हुए। उसके पश्चात आपने सरदारपुरा नामक नयी बस्ती आबाद करने में मेहता विजयसिंहजी दीवान को सहायता दी। कई स्थानों से आपको पालकी, सिरोपाव का सम्मान प्राम हुमा । सन् १९१४ में आप कन्सल्टेटिव्ह कौंसिल के मेम्बर बनाए गए। जोधपुर के राजनैतिक वातावरण में भापका बड़ा प्रभाव रहा। मैजर जनरल हिज हाईनेस सर प्रतापसिंह ने सन् १९९० की २० फरवरी को जो पत्र लिखा था उसमें आपके लिए लिखा है। - "जिस किसी भी महकमें में मेहता बख्तावमल में काम किया, उसमें उन्होंने अपनी योग्यता और ज्ञान का पूरा २ प्रदर्शन किया। इन्होंने अपने स्वामी के हितों का पूरा २ खयाल रखा। मैं कई
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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