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________________ बन्दा मेहता ओसवाल समाज में आप सम्पत्तिशाली महानुभाव है। जनता में आप प्रितिष्ठित सज्जन है । सम्पत्ति तथा सम्मान से युक्त होने पर भी आप में अभिमान की लेश मात्र नहीं है। बंदा मेहता छोगालालजी, जालोर बंदा मेहता गौत्र की उत्पत्ति में भासदत्तजी का नाम भा चुका है। इनके पुत्र मा को मलिक युसुफखान ने कानूगो पद प्रदान किया। इनके छोटे भाई वेजू के वंश में मेहता अखेचंदजी का खानदान है। मेहता मापूजी की १४ वीं पीढ़ी में मेहता उम्मेदमलजी हुए। मेहता उम्मेदमलजी के छोगालालजी, सुमेरचन्दजी, पुखराजजी और नथमलजी नामक चार पुत्र हुए । इनमें मेहता सुमेरचन्दजी जोधपुर में मेहता गणेशचन्दजी के नाम पर दत्तक गये। मेहता छोगालालजी का जन्म संन्द १९३१ में हुमा आप इस समय जालोर के कानूगो है। मारवाद राज्य के इतिहास की आपको जानकारी है। मापने पालनपुर राज्य के इतिहास बनवाने में मदद दी। आपका खानदान जालोर में उत्तम प्रतिष्ठा रखता है। आपके पुत्र नमलजी तथा प्रताप चन्दजी हैं। इनमें प्रतापचन्दजी नथमलजी के नाम पर दत्तक गवे हैं। कानमकजी की बावु २० साल की है। आप अपने लेन-देन का कार्य देखते हैं। सेठ फतेचन्द मेघराज (बंदा महेता), कोयम्बटूर इस परिवार का निवास कोसेलाव (राणी स्टेशन के पास ) है। बंदा मेहता बेलाजी तथा उनके पुत्र लालजी और पौत्र किसनाजी हुए। मेहता किसनाजी के उम्मेदमजी, नेमीचन्दजी तथा जवानमलजी नामक ३ पुत्र हुए। इनमें नेमीचन्दजी विद्यमान हैं। मेहता उम्मेदमलजी का संवत् १९५९ में स्वर्गवास हुभा । आपके पुत्र फतेचन्दजी और मेघराजजी विद्यमान हैं। मेहता फतेचन्दजी का जन्म संवत् १९४३ में हुआ। आप व्यापार के निमित्त संवत् १९५० में . कोयम्बटूर आये और ओटाजी शिवदानजी की दुकान पर सर्विस की। फिर आपने जरी का ब्यापार शुरू किया संवत् १९६३ से आप केसरीमल हीराचंद और फतेचन्द हजारीमल के नाम से भागीदारी में व्यापार करते रहे। आप संवत् १९७६ से अपना घरू व्यापार करते हैं। इस दुकान के व्यापार को सेठ फतेचन्दजी और उनके छोटे भाई मेघराजजी ने तरक्की पर पहुंचाया है। मेघराजजी का जन्म संवत् १९५४ में हुआ। आप बन्धुओं ने १० हजार रुपया बरकाणा विद्यालय में तथा ७ हजार रुपया वरकाणा मन्दिर के जीर्णोद्धार फंड में दिये हैं। १९५५ के अकाल के समय कोसेलाव में आपने रुपये के मूल्य का अनाज दस पाना मूल्य में
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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