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________________ ओसवाल जाति का इतिहास मिजियट तक हुआ। पश्चात् घर पर ही मध्ययन किया। आपने अंगरेजी, बंगला का अरछा अभ्यास किया है। आपको संगीत विषय की भी शौक है। पोस्टेज स्टाम्प के भी आप विशेषज्ञ हैं। आपके इस समय दो पुत्र है-अरुणसिंहजी और वरुणसिंहजी । ___बाबू पृथ्वीसिंहजी-आपका जन्म सं० १९५५ में हुआ। बी. ए. की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के पश्चात् घर पर ही आपने संस्कृत, बंगला आदि का अच्छा अध्ययन किया। भापको विद्या-व्यसन के साथ २ संगीत प्रेम भी है। सं० १९८९ में आपकी स्त्री का स्वर्गवास हो जाने पर आपने पुनर्विवाह नहीं किया है । आपके पांच पुत्र हैं-धीरसिंहजी, वीरसिंहजी, नरेन्द्रसिंहजी, निर्मलसिंहजी भोर अभयसिंहजी। बाबू विजयसिंहजी-आपका जन्म सं० १९६३ में हुआ। आप भी बी० ए० परीक्षा पास कर कानून का अध्ययन करते थे। हाल में ही आप कलकत्ता कारपोरेशन के कौंसिलर निर्वाचित हुए हैं। आपके एक पुत्र हैं, जिनका नाम रतनसिंहजी हैं। बाबू विक्रमासिंहजी-आपका जन्म सं० १९६७ में हुआ। आपका शिक्षण कालेज में एफ० ए० तक हुआ। इसके बाद बंगाल टेकनिकल कालेज में मिकेनिक लाइन की शिक्षा प्राप्त की। आपके इस समय एक पुत्र हैं, जिनका नाम समरसिंहजी है। बाबू फतेसिंहजी नाहर-आपका जन्म सं० १९३८ में हुआ। आपने मुर्शिदाबाद हाई स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। इसके पश्चात् आपने अंगरेजी, बंगला आदि भाषाओं तथा धार्मिक विषयों का घर पर ही अध्ययन किया। आपकी बुद्धि प्रखर है और आप निरालस्य तथा सादी प्रकृति के हैं। आपने अपनी जमींदारी और सम्पत्ति की विशेष वृद्धि की है । दिनाजपुर, सन्थाल परगना के अतिरिक्त २४ परगना, हबड़ा मुर्शिदाबाद, हुगली, वर्दमान, बगुडा आदि स्थानों में भी आपकी जमींदारी फैली हुई है। आपके सात पुत्र हैं-राजसिंहजी, रणजीतसिंहजी, उदयसिंहजी, महाराजसिंहजी, अजितसिंहजी, इंद्रजीतसिंहजी और जीतेन्द्रसिंहजी। बाबू राजसिंहजी-आपका जन्म सं० १९६० में हुआ। आपका शिक्षण कालेज में आई. ए. तक हुआ। आपका विवाह बनारस के सुप्रसिद्ध राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द की प्रपौत्री से हुभा था । परन्तु खेद है कि हाल में उनका देहान्त हो गया। आपने अंग्रेजी, बंगला आदि की उच्च शिक्षा प्राक्ष की है। आप वैषयिक कार्यों में अच्छे निपुण हैं। आपके एक पुत्र हैं जिनका नाम वीरेन्द्रसिंहजी हैं। बाबू रणजीतसिंहजी-आपका जन्म सं० १९६४ में हुआ। आप कलकत्ता विश्वविद्यालय की बी० ए० बी० एल. की परीक्षाएं पास कर कलकत्ता हाईकोर्ट में एटनी के कार्य की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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