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________________ ओसवाल जाति का इतिहास आप ओसवाल समाज के विशेष व्यक्तियों में हैं, तथा इस समय दिल्ली में प्रेस मशीनरी का व्यापार करते हैं।* किशोरमलजी सुराणा, जोधपुर आपके पूर्वज नागोर में रहते थे। कोई तीन चार पुश्त से यह परिवार जोधपुर आया । किशोरमलजी सुराणा नथमलजी सुराणा के पुत्र हैं। आप ट्रिब्यूट विभाग में कार्य्यं करते हैं। आप ओसवाल समाज के हित के मामलों में दिलचस्पी रखते हैं। आप ओसवाल कुटुम्ब सहायक 'द्रम्यनिधि नामक संस्था के स्थापकों में से एक हैं। आप स्थानकी वासी जैन आम्नाय के अनुयायी हैं । तथा जीवदया के कामों में अपनी सामर्थ्य के अनुसार अच्छा द्रव्य खर्च करते हैं । आपके चचेरे भ्राता फतेराजजी सुराणा सायर विभाग में नौकरी करते हैं। रियासत की उन्हे बहुत वकफियत है। आप देशी हिसाब के बहुत उत्तम जानकार हैं। इनके पुत्र किशनराजजी ने मेट्रिक पास किया है। सुराणा कनकमलजी, अमृतसर सुराणा कनकमलजी के पूर्वज शिषलालजी और बच्छराजजी मशहूर धनिक थे । आप सरवाड़ (किशनगढ़ स्टेट) में बोहरगत का व्यापार करते थे । सेठ बच्छराजजी के बलदेवसिंहजी, विजयसिंहजी हरनामसिंहजी, अनारसिंहजी और कस्तूरमलजी नामक पांच पुत्र हुए। सम्वत् १९२५ के अकाल के समय सेठ बलदेवसिंहजी ने गरीबों को कई खाई अनाज बाँटकर, मदद पहुँचाई। कई महीनों तक जनता इन्ही के अनाज पर गुजारा करती रही। किशनगढ़ दरबार ने आपकी उदारता की बहुत तारीफ की। साथ ही इनसे यह भी कहा कि अगर गरीब जनता के ३ मास आप निकलवायें तो उत्तम हो, लेकिन अनाज न होने से बलदेवसिंहजी ने असमर्थता प्रकट की । यह सुनकर महाराजा, अपनी सरकारी खाइयां जो सरवाड़ किले में भरी थीं वह बलदेवसिंहजी के जिम्मे कर, किशनगढ़ चले गये। इस प्रकार सुराणा बलदेवसिंहजी ने वह अनाज गरीबों और जमीदारों को बांट दिया । संवत् १९२६ में आप स्वर्गवासी हुए । आपके पश्चात् परिवार में कोई होशियार आदमी काम सम्हालने वाला नहीं रहा। संवत् १९४० में किशनगढ़ स्टेट ने अकाल के समय दी हुई अनाज की खाइयों का बकाया वसूल करने के लिये सुराणा, विजयसिहजी • खेद है कि आप का परिचय कोशिश करने पर भी नहीं प्राप्त हो सका, अतएव जितना हमारी जानकारी में भा-उतना ही परिचय छापा जा रहा है। लेखक २९४
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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