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________________ खोला की डिगरी हासिल की और उसके दो साल बाद से आप भुसावल में प्रेक्टिस करते हैं। आप शुद्ध खहर धारण करते हैं तथा भुसावल के प्रतिष्ठित वकील हैं। श्री नन्दूबाई असवाल-आप श्री नैनसुखजी ओसवाल की धर्मपत्नी एवं सेठ धौंडीरामजी खींवसरा की कन्या रत्न हैं। ओसवाल समाज की इनीगिनी शिक्षित रमणियों में आपका नाम अग्रगण्य है। वैसे तो आपका शिक्षण मराठी चौथी कक्षा तक ही हुभा है, पर आपके पिताजी की स्त्री-शिक्षा की ओर विशेष अभिरुचि होने से आपने पठन पाठन द्वारा अपने अध्ययन को अच्छा बढ़ाया है। आप महाराष्ट्र प्रान्तीय जैन स्त्री परिषद् के मालेगाँव अधिवेशन की समानेत्री थीं । मापने ओसवाल नवयुवक के मारवाड़ी महिलांक का सम्पादन किया था। माप शुद्ध खइर धारण करती हैं तथा परदा के समान जघन्य प्रथा की विरोधी हैं। आपके धार्मिक क्या सामाजिक सुधार विषयक लेख हिन्दी और मराठी के पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं। सेठ भालमचंद शोभाचंद लोढ़ा, हिंगनघाट इस खानदान के पूर्वजों का मूल निवास स्थान नागोर (मारवाद) का है। सब से प्रथम इस बानदान के पूर्व पुरुष सेठ आलमचन्दजी ने ८० वर्ष पूर्व हिंगनघाट में आकर अपनी फर्म स्थापित की थी । आपके पुत्र शोभाचन्दजी के हाथों से इस फर्म की उन्नति हुई। इनके जेठमलजी तथा हरकचन्दजी नामक दो पुत्र हुए। इनमें से सेठ जेठमलजी का सं १९८५ में स्वर्गवास हो गया है। आप घड़े धार्मिक पुरुष थे। स्थानकवासी रत्न चिंतामणि सभा के आप संचालक थे। आपके रिखबदासजी नामक एक पुत्र हैं। इस समय इस फर्म के संचालक सेठ हरकचन्दजी तथा रखबदासजी हैं। आपकी फ़र्म पर सराफी का व्यापार होता है। आप लोगों ने हिंगनघाट के स्थानक में ३०००) तथा पाथरड़ी जैन पाठशाला में ५००) की सहायता प्रदान की है। इसी प्रकार और भी सार्वजनिक कार्यों में देते रहते हैं । सेठ चुन्नीलाल लूणकरण लोढ़ा चांदा इस परिवार का निवास तीवंरी ( जोधपुर स्टेट ) है । आप मन्दिर मार्गीय आम्नाय के मानने पाले सज्जन हैं। चाँदा में सेठ लूणकरणजी लोढ़ा ने लगभग ५० साल पहिले इस दुकान का स्थापन किया, आप बात के बड़े पक्के पुरुष थे और यहां के व्यापारिक समाज में अच्छी इज्जत रखते थे। आपका शरीरान्त ता० २० मार्च सन् १९३३ को हुआ। आपके पुत्र लोदा सौभागमलजी तथा मोतीलालजी फर्म के व्यापार को भली प्रकार संचालित कर रहे हैं। सौभागमलजी का जन्म संवत् १९५९ में हुआ।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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