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________________ भोसवाल जाति का इतिहास प्राप्त हुई। सुजानगढ़ की पंचपंचायती में व राज में आपका अच्छा सम्मान था । आपका संवत् १९८२ में स्वर्गवास हुआ। आपके पुत्र छगनमलजी, किशनमलजी एवं मानकमलजी इस समय तमाम व्यापार को सम्हालते हैं। सेठ छगनमलजी के पुत्र भंवरमलजी और कुन्दनमलजी व्यापार में भाग लेते हैं तथा नय. रतनमलजी, जसवंतमलजी और अमृतमलजी पढ़ते हैं। इसी तरह किशनमलजी के मानमलजी, रणजीत. मलजी तथा प्रसन्नमलजी और माणकमलजी के पुत्र मनोहरमलजी हैं। इनमें मानमलजी कारबार में भाग लेते हैं। भंवरमलजी के पुत्र सम्पतलाल और मानमलनी के पुत्र चंचलमल हैं। . सेठ दौलतमलजी-आपके यहाँ जूट और कपड़े का व्यापार होता है। आप संवत् १९८२ में स्वर्गवासी हुए । आपके पुत्र सेठ जवरीमलजी, मोहनमलजी, मोतीमलजी एवं सोहनमब्जी है आप सब सज्जन व्यापार में सहयोग लेते हैं। जवरीमलजी के पुत्र अमरमलजी, भंवरमलजी, सुपार्श्वमलजी एवं हाथीमलजी हैं। मोहनमलजी के पुत्र अंगारमलजी, मोतीमलजी के रेवतीमलजी और सोहनमलजी के पुत्र उम्मेदमलजी हैं। .... सेठ कानमलजी-आपका व्यापार केसरीमल समरमल के नाम से कलकत्ते में था, लेकिन सम्वत् १९७४ में आपके स्वर्गवासी होने के समय आपके पुत्र छोटे थे, अतः वहाँ से व्यापार उठा दिया गया। इस समय आपके पुत्र भोपालमलजी, केसरीमलजी और बहादुरमलजी सुजानगढ़ में रहते हैं। इस परिवार की ओर से सुजानगढ़ स्टेशन पर एक सुन्दर धर्मशाला बनी हुई है तथा श्मशान भूमि में चारों भाइयों की स्मृति में । छत्री और मकान बना है। श्री नैनसुख रामचन्द्र ओसवाल (लोढ़ा ) भुसावल . इस परिवार के पूर्वव सेठ दौलतरामजी लोदा, घोडनदी (पूना में गल्ले का व्यापार करते थे। इनके पुत्र रामचन्दजी का जन्म संवत् १९२२ में हुआ। आप भी गल्ले की भादत का व्यापार और आवकारी तथा सिविल कंट्राक्टिंग का कार्य करते रहे। बहुत पहिले आपने मेट्रिक का इम्तहान पास किया । संवत् १९७० से आप गमचन्द्र दौलतराम के नाम से पूना में व्यापार करते हैं। आपके चुनीलालजी, हंसराजजी और नैनसुखजी नामक ३ पुत्र हैं। ___श्री चुन्नीलालजी लोदा २२ सालों तक बम्बई प्रेसीडेण्सी में सब रजिष्ट्रार रहे। इधर सालों से रिटायर्ड हो कर पूना में रहते हैं। आपके छोटे भाई हंसराजजो ने २॥ सालों तक फ्रांस और मेसोपोटामियों में मिलटरी अकाउन्ट डि० में सर्विस की । वहाँ से आप पूना आये और इस समय अपने पिताजी के साथ व्यापार में सहयोग लेते हैं। इनसे छोटे भाई मैनसुखजी ओपवाल ने सन् १९२९ में एस० एल०बी०
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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