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________________ सेठ हमीरसिंहजी के चारों पुत्रों में से बड़े पुत्र करणमलजी तो अल्पायु में ही स्वर्गवासी हो चुके थे जैसा कि ऊपर वर्णन हो चुका है। शेष तीन भ्राताओं के पुत्र तथा पुत्रियां हुई। सेठ सुजानमलजी के दो पुत्र थे; सेठ राजमलजी तथा सेठ चन्दनमलजी। इन दोनों का स्वर्गवास दीवान बहादुर सेठ उम्मेदमलजी की मोजूदगी में ही हो गया। सेठ राजमलजी के एक पुत्र सेठ गुमानमलजी हुए । जो मृत्युपर्यन्त अजमेर म्युनिसिपल कमेटी के मेम्बर और एडवर्ड मिल ब्यावर के चैयरमेन रहे, ये जहाँ रहे वहाँ इन्होंने कई अच्छे-अच्छे कार्य किये। इनके पुत्र सेठ जीतमलजी थे। वे भी चन्द वर्ष तक मेम्बर म्युनिसिपल कमेटी रहे। परन्तु उनका अल्पायु में ही स्वर्गवास हो गया। सेठ चन्दामलजी के पुत्र कानमलजी तथा पौत्र पानमलजी हैं। सेठ हमीरसिंहजी के तीसरे पुत्र राव बहादुर सेठ समीरमलजी के चार पुत्र हुए; सेठ सिरहमलजी, सेठ अभयलालजी, सेठ विरधमलजी तथा सेठ गादमलजी। इनमें से सेठ सिरहमलजी आजीवन म्यूनिसिपल कमेटी के मेम्बर रहे परन्तु इनकी आयु बलवान नहीं हुई और यह २९ वर्ष की अवस्था में ही स्वर्गपासी होगये। जोधपुर राज्य ने इनको भी सोना तथा ताजीम प्रदान की थी। सेठ गादमलजी इस सुकी (Joint Hindu Family ) रीति के अनुसार इनके गोद है। रायबहादुर सेठ समीरमलजी के दूसरे पुत्र अभयमलजी भी मृत्यु तक ऑनरेरी मजिस्ट्रेट रहे थे। ये बड़े लोकप्रिय तथा कार्यदक्ष थे परन्तु खेद की बात है कि इनका अल्पायु में ही स्वर्गवास होगया। इनके पुत्र सेठ सोभागमलजी हैं। इन दिनों में इस घराने का सब कार्य भार रायबहादुर सेठ विरधमलजी के हाथ में है जो राय बहादुर सेठ समीरमलजी के तीसरे पुत्र हैं। इनकी अध्यक्षता में इनके छोटे भ्राता सेठ गाढमलजी तथा भतीजे सेठ कानमलजी सब कार्य बड़े प्रेम और मनोयोग से करते हैं। सेठ गादमलजी कुछ समय तक म्यूनिसिपल कमेटी के मेम्बर रहे तथा इस समय एडवर्ड मिल ज्यावर के चेयरमैन हैं । इनके पांच पुत्र हैं, जिनमें से बड़े कुंवर उमरावमलजी तो दूकान के काम में सहायता देते हैं और शेष चार अभी बाल्यावस्था में हैं। रायबहादुर सेठ विरधमलजी का जन्म संवत् . १९३९ में हुआ। आप अपने जेष्ठ भ्राता अभयमलजी की अल्पायु में ही मृत्यु हो जाने के पश्चात् अत्युत्तम रीति से सब काम चला रहे हैं। जनता तथा ब्रिटिश सरकार इनके काम में सदा सन्तुष्ट रहती है आप ऑनरेरी मजिस्ट्रेट भी हैं। सरकार ने सन् १९२१ में इनको रापबहादुर की पदवी से सुशोभित किया। आपने नये विक्टोरिया अस्पताल में एक्सरेज की कल कई हजार रुपया देकर मंगाई है जिसके द्वारा प्रत्येक मनुष्य के अन्दर के रोग का निदान होजाता है। आपकी दूकानें बम्बई, कलकत्ता आदि बीस स्थानों में हैं जहाँ ग्याज का धंधा व सोना २१.
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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