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________________ कोठारी से व्यापार शुरू किया । इन बंधुओं का परिवार घाणेराव में “नगरसेट" के नाम से बोला जाता है। सेठ सागरमलजी के केसरीमलजी और चुनीलालजी सेठ, निहालचन्दजी के नथमलजी, हमीरमलजी, और राजमह जी तथा सेठ सूरजमलजी के मूलचंदजी, जावंतराजजी, मुलतानमलजी और जेठमलजी नामक पुत्र हुए। इनमें केसरीमलजी, हमीरमलजी तथा मूलचन्दजी विद्यमान नहीं हैं। इस परिवार का कारवार संवत् १९५५ में अलग अलग हुआ । सेठ चुन्नीलालजी बाणेराव के जैन मन्दिरों के प्रबंध में बहुत दिलचस्पी से भाग लेते हैं । आप घाणेराव के प्रतिष्ठित सज्जन हैं तथा श्री पार्श्वनाथ जैन विद्यालय वरकाण की प्रबंध कमेटी के मेम्बर हैं । आपके पुत्र मोतीलालजी २२ साल के हैं । सेठ सुरजमलजी कोठारी की धर्मध्यान के कामों में बड़ी रुचि थी । उत्सव किया, कापरदातीर्थ के जीर्णोद्वार में मदद दी । आपने संवत् १९५८ में में दुकान की, तथा १९६० में मंगलदास मारकीट में कपड़े का व्यापार शुरू किया। मैं स्वर्गवास हुआ । आपके बड़े पुत्र मूलचन्दजो संवत् १९८५ में स्वर्गवासी हुए । रतनलालजी मौजूद हैं। सेठ जावंतराजजी का जन्म संवत् १९४४ में हुआ । आप अपने बंधुओं के साथ मूलचन्द जावंतराज के नाम से व्यापार करते हैं। घाणेराव तथा गोड़वाड़ प्रान्त में आप अच्छी प्रतिष्ठा रखते हैं । संवत् १९८७ में आप लोगों ने श्री आदिश्वरजी के मन्दिर घाणेराव में एक देवली बनाई । इसी तरह के धार्मिक कामों में यह कुटुम्ब सहयोग लेता है । आपके यहाँ मूलचन्द जावंतराज के नाम से मंगलदास मारकीट बम्बई में सोलापुरी साड़ी का थोक व्यापार होता है । आपने पाली में अठाई बम्बई के दागीना बाजार आपका संवत् १९६७ अभी इनके पुत्र सेठ अनोपचन्द हरखचन्द खीचिया, कोठारी ( रणधीरोत ) शिवगंज हम उपर लिख चुके हैं कि कोठारी देदीचन्दजी के सबसे छोटे पुत्र करमचंदजी थे । आप घाणेराव में रहते थे । इनके अनोपचंदजी, पूनमचंदजी, फूलचंदजी, हरकचंदजी, मगनीरामजी, उम्मेदमल जी, तेजराजजी और केसरीमलजी नामक ८ पुत्र हुए। इनमें सेठ अनोपचंदजी तथा हरखचंदजी संवत् १९१३ में शिवगंज आये और अनोपचंद हरकचंद के नाम से दुकान की । आपके शेष भ्राता घाणेराव में 'ही निवास करते रहे । यह कुटुम्ब घाणेराव तथा शिवगंज में खीचिया - कोठारी के नाम से बोला जाता है । इन दोनों भाइयों ने शिवगंज की पंचपंचायती और व्यापारियों में अच्छी इज्जत पाई। सिरोही दरबार महाराव केसरीसिंहजी, कोठारी अनोपचंदजी का अच्छा सम्मान करते थे । संवत् १९५२ की भादवा २३५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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