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________________ कोठारी समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्दजी के साथ रहकर उनकी बहुत सेवा की थी। अजमेर की आय्य समाज के प्रथम प्रवर्तकों में आप हैं । कोठारी मोतीसिंहजी - आप कोठारी सुजानसिंहजी के पुत्र हैं। संवत् १९३१ में आपका जन्म हुआ है । आप फूलिया के तहसीलदार, शाहपुरा के मजिस्ट्रेट और कन्नौद तथा महत्पुर में ए० व्ही●• स्कूलों के हेड मास्टर रहे हैं । इस समय आप अजमेर में निवास करते हैं। आपके यहाँ पर कई मकानात हैं जिनसे किराये की आमदनी होती है । आप होमियोपैथिक डाक्टर और आयुर्वेद विशारद हैं। कोठारी सोभागसिंहजी का जन्म सम्वत १९१२ में हुआ। आप मेवाड़ के नायब हाकिम और आमेर, कोठारिया, तथा भेंसरोड़ ठिकानों के कामदार रहे। आपके जालिमसिंहजी और सुगनसिंहजी नामक दो पुत्र हैं । इनमें सुगनसिंहजी, कोठारी समीरसिंहजी के नाम पर दत्तक गये हैं । कोठारी जालमसिंहजी - आपका जन्म संवत् १९२९ में हुआ । आप बड़े बुद्धिमान, योग्य ववस्थापक तथा शिक्षित सज्जन हैं । आपने अपनी योग्यता तथा कार्यकुशलता से कई रियासतों में बड़े २ ऊँचे पद पर काम किया। सबसे पहले आपने सन् १९०० में बी० ए० पास किया तथा उसके बाद इलाहाबाद हॉर्ट की कानूनी परीक्षा का इम्तहान दिया । तदनंतर आप सर्विस करने लगे । प्रारम्भ में आप बहुत से छोटे २ पदों पर नियुक्त हुए, परन्तु आप अपनी बुद्धिमानी और व्यवस्थापिका शक्ति द्वारा बहुत ऊँचे पदों पर पहुँच गये । आप नागोदा रियासत के कुमार भागवेन्द्रसिंहजी के टयूटर रहे। इसके पश्चात् इन्दौर रियासत ने ब्रिटिश गवर्नमेंट से आपकी सर्विस को मांगा। वहाँ पर आप हुजूर आफिस के सुपरिण्टेण्डेण्ट नियुक्त हुए। उसके बाद क्रमशः स्टेट कौंसिल के सेक्रेटरी तथा कस्टम एण्ड एक्साइज कमि श्नर रहे । तदनंतर आप वहाँ से जोधपुर चले गये और जोधपुर राज्य की ओर से साल्ट और आबकारी डि० के सुपरिन्टेन्डेण्ट बनाये गये । वहाँ से आप उदयपुर गये तथा महद्राज सभा के सेक्रेटरी नियुक्त हुए । इसके बाद आपने एक्साइज कमिश्नर के पद पर काम किया । सन् १९२७ में आप ब्रिटिश सरकार से पेंशन लेकर रिटायर हुए। तदनंतर आप बांसवाड़ा स्टेट के दीवान पद पर अधिष्ठित किये गये । इस समय आप अजमेर में शांति लाभ कर रहे हैं। आप यहाँ की आर्य समाज के प्रेसिडेण्ट तथा राजस्थान व मालवा आर्य्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान हैं । आपके हरदयालसिंहजी, लक्ष्मणसिंहजी, संग्रामसिंहजी तथा सरूपसिंहजी नामक चार पुत्र हैं। इनमें से लक्ष्मणसिंहजी, कोठारी मोतीसिंहजी के नाम पर दत्तक गये हैं । बड़े पुत्र हरदयालसिंहजी एल० ए० जी० इम्पीरियल गवर्नमेंट के शुगर ब्यूरो के १२ वर्षों तक सीनियर असिस्टंट रहे हैं। शेष दोनों भाई पढ़ते हैं । कोठारी वल्लभसिंहजी तथा समीरसिंहजी का देहान्त क्रमशः संवत १९५८ में तथा १९८० में २३३
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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