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________________ कोठारी रणधारोत कोठारी केशरीसिंहजी का खानदान कोठारी केशरीसिंहजी-आप बड़े स्पष्ट वक्ता, निर्भीक, इमानदार, अनुभवी, स्वामि-भक्त और प्रबन्ध कुशल व्यक्ति थे। आपने अपने जीवन काल में अनेक राजनैतिक खेल खेले। आप अपनी चतुराई एवम् बुद्धिमानी से क्रमशः बढ़ते २ दीवान के पद तक पहुंचे। आपका विशेष इतिहास इसो ग्रन्थ के 'राजनैतिक और सैनिक महत्व' नामक अध्याय में भलिभाँति दिया जा चुका है। आपके कोई पुत्र न होने से मापने कोठारी बलवन्तसिंहजी को दत्तक लिया। . कोठारी बलवंतसिंहजी-महाराणा सजनसिंहजी ने संवत् १९२८ में भापको महकमा देवस्थान का हाकिम नियुक्त किया। इसके पश्चात् जब महाराणा फतेसिंहजी सिंहासनारूढ़ हुए तब आपने कोठारीजी को महद्वाज सभा का मेम्बर बनाया। इसी समय महाराणा ने भापको सोने का कंगर प्रदान कर सम्मानित किया। इसके बाद भापको स्टेट बैंक का काम दिया गया । राय मेहता पचालालजी के महकमा खास के पद में इस्तीफा देने पर वह काम आपके तथा सही वाले अर्जुनसिंहजी के सिपुर्द हुमा । इसके बाद संवत् १९६२ में आप दोनों सज्जनों का इस्तीफा पेश होने पर इस काम को मेहता भोपालसिंह जी और महासानी हीरालालजी पंचोली के जिम्मे किया गया। इसके बाद फिर ३ वर्ष तक आपने महल कमा खास का काम किया। देवस्थान के काम के अलावा टकसाल का काम भी आपके जिम्मे रहा । इस प्रकार कई वर्ष तक इतनी बड़ी सेवा करते हुए भी आपने राज्य से तनखा के स्वरूप कुछ नहीं लिया । मापके गिरधारीसिंहजी नामक एक पुत्र हैं। गिरधारीसिंहजी सज्जन और मिलनसार व्यक्ति हैं। आप मेवाड़ में सहा , भीलवादा, गिर्वा, चित्तौड़ आदि कई स्थानों में हाकिम रहे। इसके बाद आप महकमा देवस्थान के हाकिम रहे। आजकल आप कपासन में हाकिम हैं । आपके भंवर तेजसिंहजी नामक एक पुत्र हैं। भाप ग्रेज्यूएट हैं। .. मसूदे का कोठारी परिवार इस वंश के पूर्वजों का मूल निवास स्थान कुंभलगढ़ ( मेवाद) था। जब मेवाड़ के महाराणा के भतीजे रतनसिंहजी का विवाह मेड़ते में हुआ, उस समय इस परिवार के पूर्वज कोठारी रणधीरसिंहजी को महाराणा जी ने विवाह का प्रबन्ध करने के लिये मेड़ते भेजा। मेड़ते के तत्कालीन रावजी, रणधीरसिंह जी की व्यवस्थापिका शक्ति एवं कार्य चातुरी से बड़े खुश हुए, एवं उन्हें अपने यहीं रहने देने के लिये महाराणा बी से मांग लिया। इनके पुत्र खींवसीजी और पौत्र घणमलजी मेड़ते रावजी की सेवा में रहे।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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