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________________ बोलवाल आति का इतिहास चल रहा है। इस मिल के खुलने के वर्ष वाद अर्थात् सन् १६२८ में आपने मूलजी हरिदास मिल्स कल्याण को ७२५०००) में खरीदकर उसकी सारी मधीनरी इस मिल में सम्मिलित कर दी जिससे इस मिल में एक नया जीवन वा गया और तेजी के साथ इस मिल में बहुत अधिक मात्रा में माल निकलने लगा। इस समय यह मिल रात और दिन चौबीसों घंटा चलता रहता है। इसी प्रकार आपने सन् १९२८ में इन्दौर में, एक बहुत बड़े स्केल पर पीतल का कारखाना भी स्थापित किया। यह कारखाना सन् १९३१ से बिजली द्वारा चलाया जाने लगा। वर्तमान में इस पीतल के कारखाने से दूर २ के प्रान्तों में पीतल आदि के बर्तन भेजे जाते हैं । इसी कारखाने में मशीनरी के बहुत से पुरजे भी ढाले जाते हैं। श्री कन्हैयालालजी की सार्वजनिक सेवा श्री कन्हैयालालजी एक बड़े योग्य व्यापारी तथा कुशल व्यवस्थापक होने के साथ ही साथ बड़े सुधरे हुए नवीन विचारों के शिक्षित सज्जन हैं। आपने मिलों में काम करने वाले व्यक्तियों तथा साधारण जनता की सुविधा के लिये अनेक उपयोगी संस्थाएं खोल कर अपनी उदारता का परिचय दिया है। पाठकों की जानकारी के लिये आपकी ओर के बनाई गई कुछ संस्थाओं का हम नीचे उल्लेख करते हैं। सन् १९२२ में आपने अपने पिताजी के नाम से एक विद्यालय स्थापित किया । इस विद्यालय के लिये आपने २५०००) की लागत का एक मकान बनवा कर इसके सुपुर्द किया। सन् १९३० से आपने खजूरी बाजार में ६००००) की लागत से मकान तैयार करवा कर उसमें नन्दलाल भण्डारी हाईस्कूल की स्थापना की जो आज भी बहुत सफलता पूर्वक चल रहा है। यहाँ पर प्रति वर्ष सैकड़ों विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते हैं। इस हायस्कूल को चलाने में आपकी ओर से करीब १८०००) प्रति वर्ष खर्च किया जाता है। - इसी प्रकार मिल में काम करने वालों की सुविधा के लिये आपकी ओर से एक दवाखाना, शुद्धपानी का एक कुंआ, भोजन करने का हाल आदि २ कई मकान बनाये गये हैं जिनसे प्रतिदिन सैकड़ों सीपुरुष लाभ उठाते हैं। इसके अतिरिक्त स्नेहलतागंज इन्दौर के अन्तर्गत आपकी ओर से एक विशाल प्रसूतिगृह इसी वर्ष स्थापित किया गया है जिसके भवन २२५००) में मोल लिये गये हैं। इस प्रसूतिगृह के अन्तर्गत मजदूर और सर्व साधारण जनता के लिये सब प्रकार की सुविधाओं की व्यवस्था रक्खी गई है। मई सन् १९३४ से पह प्रसूतिगृह सर्व साधारण की सेवा करने के लिये खुल गया है। इसमें सभी प्रकार के अनुभवी
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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