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________________ साथ जालोर में रहे। जब संवत् १७६३ में महाराबा भक्तिसिंहजी के हाथ में जोधपुर के शासन की बागडोर भाई तब उन्होंने भंडारी बिन्दासजी को दीवाना बनाया और उन्हें १९९५) की जागीरी " गाँव इनायत किये। ___ सम्बत् १७६५ की फाल्गुन मुदी ..दिन मामा मजितसिंहजी भंगरी विद्यमासजी के घर आरोगने ( भोजन के लिये)पधारे उस समय रस्तारो विदामाजी ॥ हजार रूपये बजा किये। दरवार ने प्रसन्न होकर इन्हें हावी सिसेपार मेंट किया। इसी बात सापन सुदीको भाप को फिर से दीवानगी का पद मिला। सम्बन 1.0 मापदबदी भापको प्रधानगी का सम्मान, खासा सिरोपाव और जदाऊ कटारी मेंट मिली। भापके माता मंदारी नारायणदासजी सम्बत १५ में मेड़ते के हाकिम थे। इसी परिवार में मारी गईस जी हुए। मंडारी माईदासजी-आप मंगरी देवरावजी के पुत्र थे। सम्बत १५-१६ में अब भंडारी जीवसीबी देश दीवान थे उस समय उनके तन दवाव भंगरी माईलसाजी बनाये गये। सम्पत् .. मैं भापको द हुई और योदे ही समय में बाप मुख हो गये। इसी समयमा वाम गाँव भाप जागीरी में दिया गया। सम्बत १०६१ के कागुन में भंडारी मासामी, समदग्विा मूगा-गोडम्यास जी के साथ दीवान बनाये गये। - भंगरी विहल्यासजी के पश्चात् इस परिवार का सिसिलेवार जीनामा नहीं पास होता। संभव है भंडारी विट्ठलदासजी के पुत्र वा पौत्र भंडारी जसराजजी हो, । इन्ही जसराजजी भंडारी. पुत्र भंगरी गंगाराजी हुए, जो उनीसची सतादि के मध्य में जोधपुर के राजनैतिक गगन में तेजपुस्त नक्षत्र की तरह प्रकाशमान हुए। भंडारी गंगारामबी भाप जोधपुर के इतिहास में अपने समय में परे प्रतापी पुस । जोधपुर महायला विजयसिंहजी ने फोज देकर आपको किशनगढ़ तथा उमरकोट की बाहों में भेजा। सम्बत १४४ में महाराजा विजयसिंहजी ने आपके वीरोचित कार्यों से प्रसन्न होकर भापको बार की जागीरी देकर सम्मानित किया। जब संवत् १८४९ में महाराजा विजेसिंहजी र स्वर्गवास दुना और उनकी गद्दी पर महाराजा भीपसिंहजी बैठे उस समय भंगरी गंगारामजी और उनके भाणेज सिंघवी इन्द्रराजजी उनके सेना नायक थे। इन्होंने पदी बढ़ी को लेकर जामेर पर घेरा गला औ महाराजा मानसिंहजी अपनी थोड़ी सी सेना के साथ किले में विर कर अपनी रक्षा कर रहे थे। लगातार कई वर्षों तक दोनों पाब्यों
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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