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________________ सिंघवी अपनी मातेश्वरी का स्वर्गवास हो जाने के पश्चात् श्रीयुत गणेशमलजी ने दुकान के काम को संभाला। आप बड़े उदार हृदय, दयालु तथा लोकप्रिय पुरुष थे । आपने अपने हाथों से “जीवरक्षाज्ञान-प्रचारक मण्डल, स्थापित कर उसके ऑनरेरी सेक्रेटरी का काम बड़ी योग्यता से किया। तदनन्तर आपने "Society for prevention of cruelty to the animals' नामक संस्था स्थापित कर उसे गवर्नमेंट के सुपुर्द कर दिया तथा आप उसके ऑनरेरी सेक्रेटरी का काम सुचारु रूप से संपादित करते रहे। स्वयं निजाम सरकार ने इस संस्था को बहुत बड़ी सहायताएँ प्रदान कर उत्साहित किया जिससे यहसंस्था आज भी चल रही है। आपने अछूतों के लिये भी 'आदि हिन्दू सोशल सर्विस लीग' में भाग लेकर बहुत काम किया। जब आप सोजत गये उस समय भंगियों को पानी की सख्त तकलीफ में देखकर आपने उन लोगों के लिए सोजत के बाहर एक कुआ खुदवाया और उसे उन लोगों के सुपुर्द कर दिया यह कुँआ आज तक विद्यमान है। इसके साथ ही साथ आपने सोजत में एक व्याऊ भी स्थापित की जो आज तक चल रही है। मापको गुप्त दान से भी विशेष प्रेम था । आपसे कई विधवाएँ, अनाथ और गरीब विद्यार्थी गुप्त रूप से सहायता पाते थे। इसके अतिरिक्त आपका हृदय अपने भाइयों एवं परिवार के लोगों की तरफ बहुत उदार था। आप हैदराबाद के जिस मुहल्ले में रहते थे उसके "मीर मोहल्ला" भी थे। मतलब यह कि आपका हृदय सभी दृष्टियों से अत्यन्त उच्च और उदार था। यही कारण था कि हैदराबाद और सोजत की जनताक्या हिन्दू और क्या मुसलमान-सभी आपको हृदय से चाहती थी। जिस समय संवत् १९८८ की फाल्गुन सुदी ४ को आपका स्वर्गवास हुआ, उस समय हैदराबाद की करीब २००० जनता आपके शव के दर्शन के लिये उपस्थित हुई थी। उसी समय आपके शव का फिल्म भी लिया गया था। हैदराबाद की जनता ने आपकी शोक-स्मृति में पुलिस कमिश्नर के सभापतित्व में एक विशाल सभा भी की थी। आपके श्रीयुत रघुनाथमलजी नामक एक पुत्र हैं । आपका जन्म संवत् १९४५ में हुआ था। आपने अपने पूज्य पिताजी साहब के संरक्षण में उनके सभी गुणों को प्राप्त किया। आप बड़े योग्य मनस्वी तथा होनहार सजन हैं । आपका हृदय जैसा उदार है वैसी ही आपकी व्यापारिक दूरदर्शिता भी बढ़ी चढ़ी है । आपने हैदराबाद के अन्तर्गत इंगलिश पद्धति से एक बैक स्थापित किया है। भारतवर्ष में शायद यह पहला या दूसरा ही बैक है कि जिसके सोल प्रोप्राइटर एक मारवाड़ी सज्जन हैं। इस बैङ्क के अन्दर इंगलिश-पद्धति के सब तरह के अकाउण्टस्, जैसे दूसरे बड़े बैकों में होते हैं, खुले हुए हैं। हैदराबाद-स्टेट में इस बैंक की बहुत बड़ी प्रतिष्ठा है। तमाम बड़े २ आदमियों, जागीरदारों तथा रॉयल फेमिली के अकाउण्ट भी यहाँ पर रहते हैं। प्रति वर्ष दीपमालिका के अवसर पर स्वयं निजाम महोदय इस पर पधार कर इस बैंक को सम्मानित करते हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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