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________________ सिंघवी . देहान्त हुमा। सरदार हाईस्कूल में आपके नाम से “ऋषि-प्याऊ” बनाई है। इस समय आपके पुत्र जगरूपमलजी मेडिकल डिपार्टमेंट में एवं रंगरूपमलजी जोधपुर रेल्वे विभाग में सर्विस करते हैं। पृथ्वीराजनी के पुत्र सजनराबजी एवं सुकनराजजी हुए। सजनराजजी का स्वर्गवास हो गया है। उनके पुत्र हनुतराजजी हैं। सुकमसखजी मेडिकल विभाग में तथा हनुतराजजी रेलवे विभाग में काम करते हैं। सिंघवी सावन्तमलजी का परिवार सिंघवी सावंतमलजी जोधपुर के तम दीवान रहे थे। इनके तीन पुत्र हुए-सगतमलजी, जीवनमलजी और बहादुरमलजी। जीवनमलजी के कार्यों से प्रसन्न होकर इन्हें जोधपुर दरबार ने सं० १८४४ की वैशाख वदी २ को एक हवेली प्रदान की थी। बहादुरमलजी महाराजा मानसिंह के समय में कोतवाल तथा जोधपुर के हाकिम थे। जीवनमलजी के जीतमलजी और शम्भूमलजी नामक २ पुत्र हुए। जीतमलजी महाराज मानसिंहजी के समय में थांवले के हाकिम थे। उनके पुत्र सूरजमलजी का जन्म संवत् १८७९ की मगर सुदी २ को हुना। ____सिंघवी सूरजमलजी-आप कई स्थानों पर हाकिम रहे। इसके अतिरिक्त आप कस्टम डिपार्टमेंट के आर्गेनाइजर हुए। इसके पूर्व आप एक्साइज सुपरिन्टेन्डेन्ट भी रहे थे । आपकी मृत्यु पर संवत १९५२ में मारवाद गजट ने बड़ा शोक प्रकट किया था। कई अंग्रेज अफसरों से आपको अच्छे २ सर्टीफिकेट मिले थे। सिंघवी सूरजमलजी के सोभागमलजी, सुमेरमलजी, रघुनाथमलजी, कस्तूरमलजी, दूलहमलजी तथा मूलचंदजी नामक ६ पुत्र हुए। सोभागमलजी सीवाणा और दौलतपुरे के हाकिम थे । सिंघवी कस्तूरमलजी-सिंघवी कस्तूरमलजी का जन्म संवत १९६४ की आसोज वदी १४ को हुआ। संवत् १९३९ से ६ सालों तक आप सायर दारोगा जोधपुर रहे। इसके बाद आप सन् १८४९ से ३४ साल तक विभिन्न स्थानों में हाकिम रहे । आपके समय में स्टेट की आमदनी में विशेष उन्नति हुई। ता. 6 मार्च सन् १९२३ को आपका अंतकाल हुमा। आपके अच्छे कार्यों से प्रसन्न होकर महाराजा सरपासिंहजी बहादुर जोधपुर, सर सुखदेवप्रसादजी मारवाद, रेजिडेन्ट कर्नलविडहम इत्यादि कई सजनों ने सार्टीफिकेट दिये हैं। आप बड़े प्रबन्ध-कुशल सब्जन थे। आपके पुत्र किशोरमलजी एवं कानमलजी हुए। सिंघवी किशोरमलजी ने अपने वैक्किग व्यापार को अच्छी तरक्की दी। आपका अंतकाल ता० ३० जून सन् १९१० को १० साल की अल्पवय में हो गया। इस समय आपके पुत्र सिंघवी माणिकमलजी हैं। भाप a
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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