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________________ मोसवाल जाति का इतिहास मेहता कृष्णासिंहजी-आपका जन्म संवत् १९३४ में हुआ, आप प्रतापगढ़ के मेहता अर्जुनसिंह जी के पुत्र हैं। संवत् १९४५ में रायबहादुर मेहता विजयसिंहजी ने आपको दत्तक लिया। संवत् १९४६ में भापको दरबार से कान के मोती भेंट मिले । संवत् १९४७ में आपको कड़ा, दुपट्टा, मंदील, दुशाला और वीनसाब प्रास हुआ। सन् १९२१ में आप होममेम्बर जोधपुर के परसनल भसिस्टेंट हुए। उसके बाद आप स्टेट ट्रेसरी के आफिसर रहे। जब ट्रेलरी इम्पीरियल बैंक में रहने लगी तब सन् १९२८ में आप ऑनरेरी मजिस्ट्रेट हुए । रा०प० मेहता विजयसिंहजी को जो बिरामी और बीड़ावास नामक गाँव जागीरी में मिले थे उनका भाप इस समय भी उपभोग करते हैं। जोधपुर के मुत्सुरी समाज में भाप एक वजनदार तथा प्रतिष्ठित सज्जन माने जाते हैं। आप भी वैष्णव धर्मानुयायी हैं। आपके पुत्र मेहता गोविन्दसिंहजी तथा गोपालसिंहजी पदते हैं। मेहता लछमनसिंहजी मुहणोत का परिवार, उदयपुर हम ऊपर जोधपुर और किशनगढ़ के मुहणोत परिवार का काफ़ी परिचय दे चुके हैं। जिसे पड़कर पाठकों को भली-भाँति विदित हो गया होगा कि इस परिवार वाले सजनों ने दोनों ही रियासतों में किस-किस प्रकार के कार्य सम्पन्न कर भपनी प्रतिष्ठा एवम् सम्मान को बढ़ाया और इतिहास में अपना नाम अमर किया। अब हम इसी वंश की किशनगढ़ शाखा से निकले हुए मेहता सूर्यसिंहजी के चौथे पुत्र उम्मेदसिंहजी और छोटे पुत्र श्यामसिंहजी के परिवार का परिचय देते हैं। आप लोग किशनगद से चलकर उदयपुर में निवास करने लग गये थे। - मेहता उम्मेदसिंहजी महाराणा भीमसिंहजी के राज्यकाल में याने संवत् १८६३ में उदयपुर माये । यहाँ भाकर आप प्रथम कस्टम के काम पर नियुक्त हुए। उस समय आपको सात रुपया रोज़ाना वेतन मिलता था। इससे गुज़ारा न होने के कारण आप महाराणा की ओर से मरहट्ठा-शाही में चले गये। कुछ समय पश्चात् किशनगद के तत्कालीन महाराजा मेहता उम्मेदसिंहजी को वापस किशनगढ़ ले गये । लेकिन थोड़े ही समय पश्चात् महाराणा साहव ने इन्हें खास रुका मेजकर वापस उदयपुर बुलवाया। भतएव आप संवत् १८८० में वापस उदयपुर आये । इस समय महाराणा ने आपको तनख्वाह के सिवाय दो कुंए जागीर में प्रदान किये। इसी समय से महाराणा साहब ने आपके पुत्र रघुनाथसिंहजी को भी अपनी सेवा में बुलवा लिया।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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