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________________ दस्ताणी इस परिवार के पूर्वजों का मूल निवास स्थान मंडोवर का था । वहाँ से आप लोग कोडमदेसर आकर बसे । उस समय इस परिवार में सेठ नागरपालजी के पुत्र नागदेवजी थे। आपको राव बीकाजी कोडमदेसर से बीकानेर के गये। सेठ बागदेवजी के बच्छराजजी, पासूजी, जूजोजी, कल्याणजी, रतनसीली, हूंगरसीजी, चौबसीजी, दासुसाजी, और अजबोजी नामक नौ पुत्र हुए। इनमें से यह परिवार दासुसाजी के वंशज होने से दस्साणी के नाम से प्रसिद्ध हुआ । बीकानेर का दस्सारणी परिवार सेठ दासुजी के खेतसीजी, चांदमलजी, पदमसीजी, और मांडणशी नामक चार पुत्र हुए। यह परिवार पदमसीजी से सम्बन्ध रखता है। पदमसीजी के नेणदासजी और भगरसेनश्री नामक दो पुत्रहुए । नेणदासची के बाद क्रमशः तिलोकचन्दजी, सांवन्तरामजी व हंसराजजी हुए। हंसराजजी के सूरज म व जेठमलजी नामक दो पुत्र हुए। सेठ सूरजमलजी के संतोषचन्दजी, रायसिंहजी, फूंदराजजी, ज्ञानमलजी और सवाईसिंहजी नामक पाँच पुत्र हुए। सेठ ज्ञानमलजी का परिवार आपके जीवनदासजी तथा अवीरचन्दजी नामक दो पुत्र हुए। आप दोनों भाइयों का जन्म क्रमशः सं० १८६१ व १८६४ का था । आप लोग व्यापार कुशल व्यक्ति थे । आप लोग व्यापार निमित्त बिदनूर, बेवूल आदि स्थानों को गये । वहाँ पर आपने पहले पहल सर्विस की और फिर अपनी स्वतन्त्र फर्मे मेसर्स जीवनदास लखमीचन्द तथा अवीरचन्द बीजराज के नाम से स्थापित की। इन फर्मों के व्यव साथ में आप लोगों के हाथों से खूब वृद्धि हुई । सेठ जीवनदासजी संवत् १९४० के श्रावण में तथा सेठ अवीरचन्दजी संवत् १९४० के कार्तिक में स्वर्गवासी हुए। सेठ जीवनदासजी के पचालाळजी, लखमीचन्दजी एवं सुन्नीलालजी नामक तीन पुत्र हुए। इनमें से आपके प्रथम दो पुत्रों का स्वर्गवास संवत् १९५२ तथा १९७२ में होगया । सेठ लखमीचन्दजी के फतेचन्दजी नामक पुत्र हुए । वर्त्तमान में इस परिवार में सेठ मुखीलालजी प्रधान व्यक्ति हैं। आप व्यापार कुशल एवं मिलनसार सज्जन हैं। आपके नथमलजी नामक पुत्र हैं जो अवीरचन्दजी के परिवार में दत्तक गये हैं। सेठ फतेचन्दजी के अभयराजजी तथा सोभाचन्दजी नामक दो पुत्र हैं। १३
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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