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________________ बोमर - आप की फर्म पर मेसर्स सेठ बख्तावरमलजी के घीसूलालजी नामक एक पुत्र है। जीवराज केशरीमल नाम पड़ता है। रायबहादुर सेठ लखमीचंदजी बोथरा, कटंगी (सी. पी.) इस दूकान का स्थापन संवत् १८९५ में सेठ गोकुलचन्दजी बोथरा ने अपने निवास स्थान माताजी की देशनोक (बीकानेर-स्टेट) से आकर कटंगी में किया। भाप कपड़े का कामकाज करते हुए संवत् १९४२ की पोष सुदी ११ को स्वर्गवासी हुए । आपके पुत्र लखमीचन्दजी हैं। बोथरा लखमीचन्दजी बालाघाट डिस्ट्रिक्ट के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं । आप बालाघाट डिस्ट्रिक्ट बोर्ड तथा लोकल बोर्ड के ४० साल तक मेम्बर रहे, ४० सालों तक कटंगी सेनीटेशन कमेटी के प्रेसिडेण्ट रहे। सन् १९०३ से आप कटंगी-च के सैकण्ड क्लास ऑनरेरी मजिस्ट्रेट हैं। आप के मकान पर ही कोर्ट भरती है, क्या बापके सिवाय कटंगी में दूसरे मजिस्ट्रेट नहीं है। आपने यहाँ एक जैन मन्दिर बनवाया है। सन् १९०० में आप से प्रसन्न होकर भारत सरकार ने आपको रायबहादुर का सम्मान बक्षा है मापके यहाँ काश्तकारी तथा मालगुजारी का काम होता है। आपके एक पुत्र है जिनका नाम श्रीयुत देवीचंदजी हैं। सेठ नथमल जुगराज, बोथरा दुर्ग (सी. पी.) इस दुकान के मालिक तींवरी (मारवाड़) के निवासी हैं। लगभग १८ साल पहिले सेठ नथमलजी बोथरा ने इस दुकान का स्थापन किया, तथा व्यापार को आपके ही हाथों उमति प्राप्त हुई। आपने परिश्रम करके दुर्ग में मारवाड़ी हिन्दी स्कूल बनवाया और अपनी ओर से भी काफी इमदाद पहुंचाई आप समझदार पुरुष थे । संवत् १९९० के ज्येष्ठ मास में आपका शरीरावसान हुआ। वर्तमान समय में इस दूकान के मालिक सेठ नथमलजी के पुत्र जुगराजजी तथा हणुतमलजी हैं। आपके यहाँ कपड़ा, चांदी, सोना और साहूकारी व्यवहार होता है।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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