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________________ बोथरा . बोधरा आपको इस समय इन्दौर राज्य से पूरी पेंशन मिलती है। इस समय आप कोयले के व्यवसाय (Coal Business ) में लगे हुए हैं। सेठ कालूराम अमरचंद बोथरा, नवापारा ( राजिम ) इस कुटुम्ब का खास निवास समराऊ ( जिला जोधपुर ) में है। संवत् १९३४ में बोथरा अमरचंदजी देश से ऊँटों के द्वारा राजनाँद गाँव होते हुए ३॥ मास में राजिम आये तथा यहाँ उन्होंने रघुनाथदास बालचन्द चौपड़ा लोहावट वालों की दुकान पर मुनीमात की । संवत् १९३८ में आपने अपना घरू काम-काज शुरू किया। तथा व्यापार में सम्पत्ति उपार्जित कर अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई । आप रायपुर डिस्ट्रिक्ट कौंसिल और लोकल बोर्ड के ३० सालों तक मेम्बर रहे। नागपुर के चीफ़कमिश्नर ने १९१६ में आपको एक सार्टिफिकेट दिया । रायपुर प्रांत के आप गण्यमान्य व्यक्ति थे। आपके पुत्र भीकचन्दजी, हस्तीमलजी तथा ताराचन्दजी का जन्म क्रमशः १९५०,५३ तथा ६२ में हुआ। बोथरा अमरचन्दजी राजिम के प्रतिष्ठित व्यापारी हैं। आप बन्धुओं ने, अपनी बहिन के स्वर्गवासी होने के बाद उनकी रकम ओशियाँ जैन बोडिंग को दी। समराऊ गाँव तथा स्टेशन के मध्य में एक । कुआ बनवाया, इसी तरह धार्मिक कामों में सहयोग लिया। आपके यहाँ उपरोक्त नाम से माल गुजारी तथा म्यापार होता है। बोथरा अमरचन्दजी के छोटे भ्राता अलसीदासजी के पुत्र जीवनदासजी बोथरा उत्साही युवक हैं। भाप राष्ट्रीय कार्य करने के उपलक्ष में १९३० तथा ३२ में छह-छह मास के लिये २ बार जेल यात्रा कर सेठ मोतीचन्द मनोहरमल बोथरा, इगतपुरी ( नाशिक ) __इस परिवार के पूर्वजों का मूल निवासस्थान तापू (ओशियाँ के समीप-मारवाद) का है। भाप छोग श्री जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी आम्नाय को माननेवाले हैं। इस परिवार में सेठ थानमलजी हुए। आपके साहबचन्दजी तथा साहबचन्दजी के आसकरणजी, मोतीचन्दजी और मनोहरमलजी नामक पुत्र हुए। इनमें से सेठ मोतीचन्दजी और मनोहरमलजी संवत् १९३४ में न्यापार निमित्त इगतपुरी भाये। भाप दोनों भाइयों ने अपनी व्यापार चातुरी से एक फर्म स्थापित की और उसकी बहुत उमति की। सेर
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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