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________________ बोथरा अपने नाम से इम्पोर्ट करना शुरू कर दिया। कपड़े के इस इम्पोर्ट व्यवसाय में आपको बहुत सफलता प्राप्त हुई । स्वदेशी वस्त्रान्दोलन के समय से आप लोगों ने कपड़े का इम्पोर्ट बिजिनेस बन्द कर दिया है। इस समय आपकी फर्म पर सराफी जूट और जमीदारी का काम होता है। सेठ रुक्मानन्दजी के जयचंदलालजी नामक एक पुत्र हैं। आपका जन्म संवत् १९४९ में हुआ। आप इस समय फर्म के व्यापार कार्य में भाग लेते हैं। आपके बालचन्दजी, शुभकरणजी, बच्छराजजी और कन्हैयालालजी नामक चार पुत्र हैं। ___ सेठ सागरमलजी के हुलासचन्दजी, मदनचन्दजी, पूनमचन्दजी एवं इन्द्रचन्द्रजी नामक चार पुत्र हुए हैं । बाबू हुलासचन्दजी बड़े उत्साही तथा फर्म के काम में सहयोग लेते हैं। आपके हेमराजजी एवं ताराचन्दजी नामक दो पुत्र हैं। * इस परिवार की ओर से चूरु ( बीकानेर-स्टेट) में मुसाफिरों के आराम के लिये स्टेशन के पास एक नोहरा बनवाया गया है जिसमें करीब बीस हजार रुपया लगा होगा। आप लोग इस प्रकार के अन्य कायों में भी भाग लेसे रहते हैं। आपका व्यापार इस समय कलकत्ता में 'रुक्मानन्द सागरमल' के नाम: से २०० हरिसन रोड में ब्याज, जूट और वैकिंग का होता है । भापके तार का पता 'Bitrag' और टेलीफोन नं0 4165 B. B. है। इसके अतिरिक्त 'जयचंदलाल हुलासचंद' के नाम से दीनाजपुर (पुलहाट) में एक चाँवल का मिल है और डाववाली मंडी (हिसार) में मे० बालचन्दजी बोथरा के नाम से किराने व आदत का काम काज होता है। कलकत्ता में आप लोगों के तीन मकानात हैं जिनसे किराये की आमदनी होती है तथा देश में भी आपकी सुन्दर हवेलियाँ बनी हुई हैं। सेठ चुन्नीलाल प्रेमचन्द बोथरा सरदारशहर इस परिवार वालों का मूल निवास राजपुरा (बीकानेर) का है। करीब ४५ वर्ष पूर्व इस परिवार के सेठ उमचंदजो बहुत साधारण स्थिति में यहाँ आये । आपके सेठ चुनीलालजी और सेठ प्रेमचन्दजी नामक दो पुत्र हुए। . सेठ चुनीलालजी का जन्म संवत् १९०९ में हुआ। आपका विवाह मलानिया निवासी सेठ प्रेमचंदजी सेठी की सुपुत्री तुलसी बाई के साथ हुआ जिनका स्वर्गवास संवत् १९४७ में हो गया। सेठ पुत्रीलालजी बड़े प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति थे। आपने पहले पहल कलकत्ता जाकर सदाराम पूरनचाद भैरोंदान भंसाली के यहाँ नौकरी की । पश्चात् संवत् १९६० में आपने अपने हाथों से अपनी निज की
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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