SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 378
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भोसबाड जाति का इतिहास रहे थे, हो गया। अतएव आपने फिर संवत् १९७५ में जयपुर के मेहता मंगलचन्दजी बाउण्डरी सुपार. टेण्डेण्ट के सबसे बड़े पुत्र मेहता गोपालसिंहजी को सोहनसिंहजी के नाम पर दत्तक लिया। मेहता मोहन सिंहजी का स्वर्गवास सन् १९२३ में जब कि आप बेगूं के प्रजा आन्दोलन को दबाने के लिये भेजे गये थे । वहीं हार्ट फेल के कारण हो गया। उदयपुर में यह कायदा है कि जो भी मुत्सुही जागीरदार अपने यहाँ किसी को दत्तक रखे तो पहले उन्हें दरबार में महाराणा को नजरामा कर भाशा प्राप्त करना पड़ती है, ऐसा नहीं करने से वह जागीर के स्वत्वों से वंचित रहता है। पहले तो यहाँ भी यही हुमा । इसका कारण यह था कि आपकी माताजी के और आपके बीच में झगड़ा चल गया था। करीब साल के पश्चात् महा. राणा फतेसिंहजी के स्वर्गवास हो जाने पर वर्तमान महाराणा साहब श्री भोपालसिंहजी के खाविंदी फरमाकर आपका अंगपत्र मंजूर कर लिया और आपकी प्रायवेट सम्पत्ति पर से कुड़की हटाली। वर्तमान में इस परिवार में गोपालसिंहजी ही प्रधान हैं। आपका विद्याभ्यास एफ. ए० तक ही हुआ। प्रारम्भ में आप महाराज कुँवार की ओर से पानरवा ( भोमर ) ठिकाने के मैनेजर नियुक्त हुए। इस बाद आप सादड़ी नामक स्थान पर मैनेजर बनाए गए। इसके पश्चात् भोमर परगने के सबसे बड़े ठिकाने जपास के रावजी के मेयोकालेज में गार्जियन बनाए गये। यहाँ आपने जुडिशियल लाइन की शिक्षा भी प्राप्त करली। जब जवास रावजी को अधिकार मिल गया, तब आप वहाँ के एडवाइज़र नियुक हुए। इस समय भी आप उसी काम पर हैं। आप बुद्धिमान, और समाजसुधारक विचारों के सज्जन हैं। आपने अपने पिताजी का मोसर न करके लोगों के विरोध की कुछ भी पर्वाह न करते हुए-रनडे स्मारक में ७०००) उदयपुरी लगा कर स्थानीय विद्याभवन में एक हाल बनवाया है। आपने अपनी दूसरी शादी के समय में किसी प्रकार के पुराने रिवाजों का पालन व जल्से आदि नहीं किये। यहाँ तक कि जिस दिन शादी करने जा रहे थे उस दिन भी आपको देखकर कोई नहीं कह सकता था कि आप शादी करने जा रहे हैं। लिखने का मतलब यह है कि आप सुधार-प्रिय सज्जन हैं। __ आपके प्रथम विवाह से दो पुत्र हैं जिनका नाम क्रमशः कुंवर जसवन्तसिंहजी और दलपतसिंहजी है। साह मेघराजजी खजांची का परिवार बीकानेर इस परिवार का इतिहास सवाईरामजी से शुरू होता है। भाप बीकानेर स्टेट में मुकीमात का काम याने स्टेट में तमाखू वगैरह सप्लाय करने का काम करते थे । अतएव इस परिवार वाले मुकीम रोथरा कहलाये ! सेठ सवाईरामजी बड़े प्रतिभा सम्पन और कारगुजार व्यक्ति थे । आपका स्टेट में
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy